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(१४१) इन दिनों में बंभापोल और जैनशाला में परस्पर अनुचित हैंडबिल बाज़ी होती रही, परन्तु हमारे चरित्र नायक इस झगड़े से सर्वथा शान्त रहे।
भादों वदि १२ गुरुवार ता०२ सितंबर को पर्युषण पर्वप्रारंभ हुआ। तीसरे पर्युषण के दिन कोरल, मियांगाँव, करजन, सुखाड़ा इत्यादि गाँवों के श्रावक श्राविका पर्युषण करने को आये। ५ सितंबर को कल्पसूत्र का व्याख्यान शुरु हुआ। शाम को प्रतिक्रमण के समय श्री चरणविजयजी की सख्त बीमारी का तार मिला। अगले दिन १०|| बजे के करीब, तीसरे व्याख्यान की समाप्ति के बाद बड़ौदा से श्री चरणविजयजी के दिवारोहण का समाचार मिला। उसी समय चतुर्विध संघ के समक्ष देववंदन किया गया । ६ सितंबर, दूसरी चौथ, गुरुवार को संवत्सरी पर्व मनाया गया। वर्षा के कारण उस दिन चैत्य परिपाटी न हो सकी। अगले दिन चैत्य परिपाटी और स्वामीवत्सल हुआ। ११ सितंबर को डभोई से विजय देवमूरि गच्छ के श्रीसंघ से पंन्यासजी श्री रंगविजयजी के स्वर्गवास का तार मिला। नियमानुसार देववंदन किया गया। १२ तारीख को पर्युषण पर्व सम्बंधी वरघोड़ा (जुलूस) निकला । इस दिन खूब वर्षा हुई । मांडवी की पोल से चल कर वरघोड़ा अंबालाल पानाचंद
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