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(१२६) .."मार्च सन् १९३६ के तीसरे सप्ताह में बड़ौदा शहर में एक अप्रतिम उत्सव बड़ी धूम धाम से हुआ। मुझे भी इसमें सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ। यह उत्सव २१ मार्च से २५ मार्च तक प्रातः काल से रात्रि पर्यंत हुआ करता था। इस उत्सव के नियन्ता प्रसिद्ध जैन मुनि श्री वल्लभविजयजी महाराज और उनके परिश्रमी शिष्य मुनि चरणविजयजी थे। इस उत्सव का प्रबन्ध करने के लिये बड़ौदा की एक समिति भी बनाई गई और इस उत्सर को सफल बनाने के लिये इस समिति ने भरसक प्रयत्न किया। इस महोत्सव पर रु० १०,०००) से अधिक खर्च हुआ। बड़े २ जैन विद्वान् और प्रतिष्ठित लोगों ने इस उत्सव में भाग लिया जिनमें श्रीमान् मणिलाल नानावटीजी, बड़ौदा के नायब दीवान साहिब भी एक थे।
मैंने सुना है कि श्री महाराजा सा० बड़ौदा नरेश को भी इच्छा थी परन्तु उत्सव से पहले ही वे यूरोप को प्रस्थान कर गये थे। उत्सव में शामिल होने वालों में पंजाबियों की बाहुल्यता थी। पंडाल में पुरुष और स्त्रियों के नाना प्रकाराके रङ्ग बिरंगे वस्त्र शोभा दे रहे थे। इनमें बहुत से नवयुवक थे जिनमें से कई अच्छे २ गाने वाले थे जो महान् श्वेताम्बराचार्य की, इस अवसरोचित स्तुतियों से, अपनी प्रगाढ़ भक्ति को प्रदर्शित करने के लिये आये थे। उनकी
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