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( १२२ ) के द्वारा संस्थापित 'श्री महावीर जैन विद्यालय के जिन मंदिर की प्रतिष्ठा हुई। शताब्दि फंड और तत्संबन्धी कार्यों के प्रबंध के लिये एक समिति बनाई गई जिसके सदस्य निम्न लिखित महानुभाव बनाये गयेः- .
श्रीयुत् सेठ मगनलाल मूलचंद शाह-मानद मंत्री। .:.., सेठ डाह्याभाई नगीनदास ऑनरेरी खजाञ्ची। ...., सेठ सकरचंद मोतीलाल मूलजी , इत्यादि । ' शताब्दि नायक के जीवन और कार्यों के विषय में विद्वानों से लेख लिखवा कर एक शताब्दि स्मारक ग्रंथ प्रकाशित करने का भी निश्चय किया गया। इस ग्रंथ के संपादन का भार विद्वद्वर श्री मोहनलाल दलीचंदजी देसाई बी. ए., एल-एल. बी., सोलिसीटर, बंबई को सौंपा गया ।
. पंन्यासजी श्रीसमुद्रविजयजी और श्री विशुद्धविजयजी महाराज तो गौड़ीजी के उपाश्रय में रहे और आचार्य श्री. स्वयं बंबई के आस पास विचरते रहे। ज्येष्ठ शुदि ८ को स्वर्गवासी गुरु महाराज श्री आत्मारामजी का जयन्ती महोत्सव राधनपुर निवासी दानवीर सेठ कांतिलाल ईश्वरलालजी मोरखिया के भक्ति-पूर्ण आग्रह से उनके बंगले में विलेपारले में मनाया गया। हजारों नर नारियों ने सम्मिलित होकर उत्सव की शोभा बढ़ाई और स्वर्गवासी गुरु महाराज का गुणानुवाद करके अपना जन्म सफल
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