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( १८ ) कैसे आक्षेप किये जाते थे, आपको किस प्रकार,ललकारा जाता था ? उसके एकाध उदाहरण सुनिये ।
आप सामाना (पंजाब) में विराजमान थे। आपके व्याख्यानों की चारों ओर धूम मची हुई थी। जैन जैनेतर सारी जनता के झुंड के झुंड व्याख्यान में आते थे। स्थानकवासी भाई भी आया करते थे। उनके मन में कुछ शंकाएँ थीं। आपके पास आकर वे शंका उठाते तो आप उनका यथोचित समाधान कर दिया करते थे । आपके उत्तर को सुन कर वे निरुत्तर हो जाते थे ।
एक बार उन लोगों ने आप से निवेदन किया कि "साहिब! आप बड़े बुद्धिमान हैं, सभा चातुर्य हैं। हम आपको महान् विद्वान् मानते हैं यदि आप कृपा करके ऐसा करें कि हमारे पूज्य सोहनलालजी महाराज, जो यहीं विराजमान हैं उनसे शास्त्रार्थ करके इन शंकाओं का सदा के लिए झगड़ा मिटा दें तो बड़ी कृपा होगी।" । ___"ठीक है भाई ! जैसी तुम्हारी इच्छा हो, करो" आपने हँसते हुए उत्तर दिया। उन्होंने फिर दूसरी ओर जाकर श्री सोहनलालजो से निवेदन किया, "महाराज ! वल्ल भविजयजी से आप शास्त्रार्थ कीजिये और उन्हें शास्त्रार्थ में हराइये । हम उनको तैयार कर आये हैं।"
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