________________
(४३) बड़े बड़े साधु महाराज वहां एकत्रित हुए और आनन्द पूर्षक ५० साधुओं का सम्मेलन हुआ । - इसके एक वर्ष बाद जब आप नर्मदा के किनारे विचर रहे थे तब नांदोद के महाराजा ने श्री हंसविजयजी महाराज को बुलाया। श्री हंसविजयजी महाराज सामाथ्र्य शाली समझ कर आपको भी साथ ले गए। वहां आपके प्रभावशाली व्याख्यान हुए। यहां पर भी आपके उपदेश से महाराजा साहिब ने गौशाला के लिए बहुतसी ज़मीन दी और धनपात्रों ने हजारों रुपये दिये।
आपकी यह उपदेश वाणी 'सयाजी विजग' जैसे अनेक पत्रों में छप रही थी। बड़ौदा नरेश महाराज गायकवाड़ ने जब ये समाचार सुने तो आपको बड़ौदे बुला लिया। श्री हंसविजयजी जैसे महापुरुष के संग को आप श्रीजी ने नहीं छोड़ा। उनके साथ ही साथ आप बड़ौदे आये और न्याय मन्दिर जैसे विशाल भवन में आपके प्रभावशाली व्याख्यान हुए ।
एक दिन का ज़िक्र है। दिन के चार बजे आपका व्याख्यान हुआ। होते होते सायंकाल होने लगा। करीबन् ३५ साधु साध्वी भी व्याख्यानामृत का पान कर रहे थे। आपकी अविछिन्न उपदेश धारा से श्रोता लोग तन्मय बन रहे थे। आपने अपनी उपदेश श्रेणी को
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org