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अब वह अति सुंदर मंदिर बन कर तैयार हो चुका है और उसकी प्रतिष्ठा भी आप ही के कर कमलों से मार्ग शीर्ष सुदि १०, सं० १६६५ के शुभ दिन होने वाली है ।
साढौरा से विहार करके आप बिनौली (जिला मेरठ) में पधारे जहां, ज्येष्ठ सुदी ६ को शुभ मुहूर्त में श्री जिन मंदिर की प्रतिष्ठा - अंजनशलाका का शुभ कार्य्य हुआ। तीन दिन पहले (ज्येष्ठ सुदि ३) को जंडियाला निवासी श्रीयुत् लाला खजांचीलाल ओसवाल लोढा गोत्रीय और राधनपुर farmer श्रीयुत् सेठ भोगीलाल केसरीचंदजी बीसा श्रीमाली की दीक्षा का महोत्सव हुआ था। इनके नाम क्रमशः 'विशुद्ध विजयजी' और 'विकाशविजयजी' रक्खे गये थे । ये दोनों मुनिराज आपही के शिष्य हुये। इसी अवसर पर गुजरांवाला की श्राविका श्रीमती रलीबाई ने भी दीक्षा ली। आपका नाम 'श्री चारित्र श्रीजी' रक्खा गया । श्रीमती चित श्री जी की शिष्या बनाई गई ।
बिनौली के पास ही 'बड़ौत' नामक एक अच्छा कसबा है जहां दिगम्बर आम्नाय की अधिक बस्ती है। आप बिनौली से बड़ौत पधारे। आपका मनोहर उपदेश होने लगा जिसके प्रभाव से ३५ घर श्वेताम्बर संप्रदाय के अनुपायी हो गये। वहाँ एक सुन्दर जिन मन्दिर भी बन चुका है और उसकी प्रतिष्ठा भी आपही के हाथों माघ
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