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दर्शनीय धूमधाम तो होती ही थी । आपके व्याख्यान में भावनगर के दीवान साहिब श्री प्रभाशंकर पट्टणी तथा अन्य अधिकारी लोग भी आया करते थे । आपकी विद्वता और आपके उपदेशों की उत्तमता के कारण साधारण जनता भी आपका मधुर भाषण सुनने के लिये उत्कण्ठित हो उठी । अतः मुख्य श्रावकों ने पब्लिक लैक्चरों का प्रबंध कराया । आपके समयोचित और मुक्ति-मार्ग-दर्शक भाषणों से भावनगर की जनता तृप्त हुई ।
भावनगर से विहार करके बढ़वान आदि स्थानों से होते हुये आप बोटाद पधारे। आगे लाठीधर के स्थान पर अहमदाबाद के नगर सेठ, श्रीयुत् कस्तूरभाई मणिभाई आदि मुखिया आये और अहमदाबाद में होने वाले मुनि सम्मेलन में पधारने के लिये आप से विनती करने लगे । आपने उनकी प्रार्थना स्वीकार की ।
उस
पालणपुर में श्रीयुत् सेठ डाह्याभाई नगीनदास झवेरी उजमणा करने वाले थे । उन्होंने भी आपसे अति विनीत भाव से पालणपुर में पधारने के लिये प्रार्थना की। श्रावक की अभिलाषा को सफल करने के लिये आप पालणपुर गये । उजमणा ( उद्यापन ) की क्रिया बड़ी धूमधाम से हुई । इस महोत्सव में भी श्रीमान् नवाब साहिब आये थे । शान्तिस्नात्र का दिन था उस समय
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