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( ५४ ) हैं। वहाँ से आप श्रीजी का जीरा जालंधर ,होते हुए. होशियारपुर में प्रवेश हुआ। _ आपने संवत् १६७६ में पुनः पंजाब में प्रवेश किया था। पंजाबियों ने स्वागत में हृदय बिछा दिये थे। पंजाब श्री संघ ने आपका होशियारपुर में अपूर्व स्वागत किया।
पंजाब ने अपने बिछुड़े हुए गुरु को वर्षों के बाद प्राप्त किया था। श्री संघ के हृदय में बिजली सी दौड़ रही थी। होशियारपुर में प्रवेश करते ही शिक्षा प्रचार की नई धुन बड़े उत्साह से फिर उठी।
वहीं पं० मदनमोहन मालवीयजी ने आपके दर्शन किये। दो एक घंटे तक बातें होती रहीं। . आप श्रीजी के विहार से गुजरात और मारवाड़ में जैसे अनेकानेक अटके हुए काम संपूर्ण हुए वैसी ही स्थिति पंजाब की भी थी। मुकाम सामाना स्टेट पटियाला में श्रीशांतिनाथ स्वामी का अपूर्व मन्दिर तैयार हुआ था। प्रतिष्ठा के लिए आप श्रीजी की राह देखी जा रही थी आप श्रीजी वहां पधारे। - संवत १९७६ माघ सुदि ११ को आपके वरद हाथों से भगवान गद्दी पर विराजमान हुए और गुरु-मूर्ति की भी प्रतिष्ठा हुई।
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