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हृदयग्राही व्याख्यान नहीं सुने थे। मैं आज कृतकृत्य हुआ ।"
इसी प्रकार आप जब बड़ौदे पधारे तो बड़ौदा नरेश ने भी आपका सम्मान करने के लिए डाक्टर वालाभाई मगनलाल की मारफत आमंत्रण दिया। बड़े समारोह से आपका बड़ौदे में प्रवेश हुआ । 'आत्मानन्द प्रकाश' ने लिखा है कि "उस समय श्रीमान् महाराज हंसविजयजी तथा विद्वान् मुनिराज श्री वल्लभविजयजी का आगमन ख़ास गायकवाड़ सरकार के निमंत्रण से हुआ था । अतः श्रीमान् महाराजा साहिब की तबियत ठीक न होने पर भी श्रोमन्त सरकार राजमहल में इन मुनिराजों से मिले थे । आपके उपदेश से प्रसन्न होकर सरकार ने आपसे सार्वजनिक व्याख्यान देने की प्रार्थना की थी।" वहाँ आपके 'धर्मतत्व' व' सार्वजनिक धर्म' इन विषयों पर २ मनोहर व्याख्यान हुए। ये व्याख्यान ता० ६ और १६ मार्च सन् १६१३ रविवार को शाम के समय न्याय मन्दिर में हुए थे। दोनों व्याख्यान 'आदर्श जीवन' के उत्तरार्द्ध में छपे हुए हैं ।
आप जब विहार करते करते जयपुर पहुँचे तब एक मज़ेदार घटना हुई। आप निशियाँ - जिन मन्दिर के दर्शन करके पधार रहे थे। आपके साथ श्रीमान् गुलाबचन्दजी ढड्डा एम० ए० के बड़े भाई लक्ष्मीचन्दजी भी थे। उन
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