________________
मुनि श्री मित्रविजयजी को दीक्षा दी। वहां के परस्पर के कलह को भी शान्त किया। साथ ही साथ ज्ञान प्रचा. रार्थ और जैन संस्कृति के रक्षणार्थ प्रभूतम उपदेश दिया। इस चातुर्मास में जनता ने ज्ञान का महत्त्व समझ कर 'आत्मवल्लभ केलवणी फंड' नामक एक फंड स्थापित किया जिसके लिए तुरंत ही २० हज़ार रुपये एकत्रित हुए। .
' आज तक उस फंड से सहायता पाकर बीसियों |ज्युएट होकर निकल चुके हैं। . इस चातुर्मास में राधनपुर निवासी दानवीर सेठ मोतीलाल मूलनी आपके पास आये और प्रार्थना करके बोले-"गुरुदेव ! श्री सिद्धाचलजी का संघ निकालने की मेरी इच्छा है, आप श्रीजी पधारने की कृपा करें। आप पर मेरा पूर्ण हक भी है क्योंकि आप श्री हर्षविजयजी महाराज के शिष्य हैं और उन्हीं गुरुदेव का मैं गृहस्थ शिष्य हूँ।" आपने उनकी प्रार्थना को सहर्ष कबूल किया, पालनपुर से राधनपुर पधारे और श्री सिद्धाचलजी की यात्रा की। ___ श्री सिद्धाचलनी की यात्रा करके आप अपनी जन्म भूमि बड़ौदा पधारे। यह क्षेत्र भी आपकी ओर एक टक दृष्टि लगाये देख रहा था । बड़ौदे में चौमासा समाप्त करके आप गायकवाड़ महाराज के राज्य में घूमते रहे। वहाँ से आप मूरत पधारे। वहां पूज्य प्रवर्तकजी श्री
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org