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शास्त्र में आपकी अच्छी गति हो गई थी । केवल चंद्रिका पढ़कर ही आपने संतोष नहीं कर लिया किन्तु पंजाब में जाकर आपने चंद्रप्रभा जैसे कठिन जैन व्याकरण का भी अच्छी प्रकार अध्ययन किया था ।
श्री आत्मारामजी महाराज साहिब जैसे पुरुष पारखी ने पहले ही परख लिया था कि इस आत्मा में भावी उन्नति के लक्षण हैं। अतः महाराज साहिब ने आपको अपने साथ ही साथ रक्खा । आपका हस्तलेख सुन्दर होने के कारण आचार्य श्री अपनी सारी चिट्ठी पत्री आप से ही लिखवाया करते थे । इस प्रकार आप आचार्य देव के परम प्रीति-भाजन हो गए। आपने अब कल्पवृक्ष पा लिया था; अब उससे मनो वाँछित फल प्राप्त करना था ।
विहार में आप आचार्य देव के साथ रहे। इस बीच में आचार्य देव ने आपको योग्य देखकर नव दीक्षित मुनिराजों को पढ़ाने की आज्ञा दी ।
2.2
आपने पढ़ाने का कार्य सहर्ष स्वीकार किया । आप आचार्य देव के प्रत्येक व्याख्यान को बड़े चाव से सुना करते थे। इस प्रकार अल्प काल में ही आप अच्छे व्याख्याता हो गए। आप सब विहार करके धीरे धीरे मारवाड़ की ओर पधारे। आपने वाली और नाडलाई में
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