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नव जीवन की ओर आपकी शिक्षा बालवय में ही प्रारम्भ हो गई थी, 'किन्तु वह थी केवल व्यावहारिक शिक्षा । धार्मिक शिक्षा जो कुछ प्रारम्भ में प्राप्त हुई थी वह माताजी की कृपा से थी। माता ने जिन जिन धार्मिक विचारों का बीज वपन किया था, वे पक्के थे और उन्हीं के परिणाम ने आप को आगे बढ़ने वाली वस्तुओं की खोज में विराग प्राप्त कराया था। . आपकी स्कूली शिक्षा सातवीं कक्षा तक हो समाप्त हो गई थी किन्तु धार्मिक अभ्यास प्रायः दीक्षा लेने तक भी चलता रहा था । आपने इस बीच में पंच-प्रतिक्रमणसूत्र, श्रावकों के कृत्य, चंद्रिका का पूर्वाद्ध आदि यथा अवकाश सीख लिये थे। अब ज्ञान पिपासा और उग्र हो उठी।
किन्तु यहाँ साधु धर्म अंगीकार करने के कारण साधु नियमादि का भी व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करना था। अतः यह गति कुछ दिनों तक मन्द रही और आप साधु धर्म की क्रियाएँ सीखते रहे। : दीक्षा प्राप्ति के बाद आपका पहला चातुर्मास राधनपुर में ही हुआ। वहाँ चन्द्रिका समाप्त करके आपने अपनी तीव्र बुद्धि का बड़ा अच्छा परिचय दिया। व्याकरण
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