Book Title: Jaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Author(s): Chhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
Publisher: Rajasthani Granthagar
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37/जैनों का संक्षिप्त इतिहास, दर्शन, व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार
उपयोगों में डॉ साराभाई का योगदान अतिश्रेष्ठ रहा। इसी क्रम में डॉ. मोहनसिंह मेहता उदयपुर तथा जीवराज मेहता मुम्बई को भी पदमविभूषण से अलंकृत किया गया है। सेठ कस्तुरभाई, लालभाई, पंडित सुखलाल संघवी एवं श्री डी.आर. मेहता का नाम भी सम्मान पूर्वक लिया जाता है। जिन्हें अपनी विशिष्ट सेवाओं के कारण पद्म भूषण से अलंकृत किया गया है।
इन सब श्रेष्ठी वर्गीय पोरवाल, ओसवाल श्रीमाल वर्ग की हस्तियों का संक्षेप में सिंहावलोकन किया गया है जिससे मुख्यतः यही पाया गया है कि इनकी उत्पत्ति लगभग एक ही समय में, एक ही धर्मगुरु से या उनकी परम्परा के धर्म गुरु द्वारा उन्हें जैन धर्म अपनाने की प्रेरणा स्वरूप उद्गम से हुई है। निःसन्देह ये सब मूल रूप से एक हैं एवं इनमें अन्तर किया जाना उचित नहीं है। जैसा पूर्व में उल्लेख किया है। ओसवालों की सूची में पल्लीवाल भी ठीक ही शामिल किए गए।