Book Title: Jaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Author(s): Chhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
Publisher: Rajasthani Granthagar
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मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान होता है/202
02. उन्होंने यज्ञों में होने वाली जीव-हिंसा, पशु-बलि का विरोध किया तथा उन्हें जैन साधुओं द्वारा प्रशस्त यज्ञ के विषय में बताया जिसमें तप, ज्योति है, जीव आत्मा ज्योति का स्थान है। मन,वचन और काया का योग कुड़छी है, शरीर कण्डे हैं कर्म ईंधन है, और प्रवृति शांति पाठ है।
तवो जोई जीवो जी इठाणं, जोगा सुदा सरीरै कारिसंग कस्म एहां संजम जो सत्नी, होम हणामी इसिंग पसत्य।
(उ.सू 12/44) कर्म काण्ड युक्त यज्ञ की जगह वासनाओ पर विजय प्राप्त वाले भाव यज्ञ श्रेष्ठ हैं (उ.सू 12/42) | .
मुनि के तप से वे अभिभूत हुए। भगवान महावीर ने इस बारे में कहा, "यह तप महिमा प्रत्यक्ष है, आँखों के सामने है, जाति की कोई विशेषता या महत्व नहीं है जिनका योग-आदि और सामर्थ्य आश्चर्यजनक है, वह हरिकेश मुनि चाण्डाल के पुत्र हैं"। (उ.सू 12/37)। _____03. चित्त, सम्भूत, शूद्र कुल में जन्म लेकर भी पुण्य कर्मों से देवलोक में गये। मेतार्य मुनि मेहतर थे लेकिन ज्ञान, दर्शन, चरित्र, की साधना से ऊँचे मुनिवर कहलाते थे। हाल ही में अनेक अन्त्यज जैसे बाबू जगजीवन राम अपनी विद्या, पुरूषार्थ, समाजोपयोगी कार्यों से श्रेष्ठ पद पर पहुंचे, यहाँ तक कि डॉ. अम्बेडकर स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माताओं में से एक तथा भारत-रत्न कहलाये। भारतीय - संविधान में सभी व्यक्तियों को बिना जाति पांति के, लिंग-रंग, धर्म, के भेदभाव के, समता का अधिकार प्रदत्त है।
जैन दर्शन में प्रारम्भ से सर्वधर्म समभाव रहा है। यहाँ तक कि जीव – मात्र के अस्तित्व में समता सिद्धान्त को मान्यता दी गई है।
04. ब्राह्मण कुल में पैदा हुए जयघोष, जो पूर्व में स्वयं हिंसक-यज्ञ में सतत् संलग्न थे लेकिन कालान्तर में इन्द्रियों का