Book Title: Jaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Author(s): Chhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
Publisher: Rajasthani Granthagar
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विज्ञान के अनुसार सूक्ष्मतम वायु काय के जीवाणुओं का संरक्षण किस तरह/278 - हमारे किसी कपड़े आदि को मुँह पर लगा लेने से न उनकी
रक्षा कर सकते हैं न उन्हें मार सकते हैं। 6. इन्हीं से खोज के आधार पर पूर्व में, प्राण घातक टी.बी.
टिटनेस, पोलिया, चेचक, जैसी एवं अन्य कई बीमारियों को समाप्त किया गया अथवा उनका इलाज संभव हुआ। कई हमारे कृषि, उद्योग, खाद्य आदि में उपयोग आते हैं। मेरी छोटी समझ अनुसार वायुकाय की रक्षा का अर्थ वायुमण्डल को विषाक्त होने से रोकना है। इस उपभोक्तावादी एवं येन-केन प्रकारेण रूप से, आर्थिक लाभ कमाने की धुन में अत्यधिक औद्योगिकरण विश्व में हआ है। जिससे पृथ्वी पर कार्बनडाइआक्साइड एवं अन्य जहरीली गैसे जैसे अधिक मांसाहार से मीथेन, एवं बढ़ते फ्रीज , एयरकंडीशनर जैसे अन्य उपकरणों से क्लोरो-फ्लोरो गैस में इतनी वृद्धि हुई है , जिसने पृथ्वी के कवच, ओजोन गैस को छेद दिया है। ऐसी स्थिति में सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर आने से रेडियेशन, कैंसर आदि होने से बहुत नुकसान होता. है। ओजोन का यह छेद बढ़ता ही जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश ऐसे औद्योगिक देशों के विषैले उत्सर्जन कमकर जीव मात्र को रोगों से बचाकर पृथ्वी पर ऑक्सीजन की सही मात्रा सुनिश्चित करावें। आणविक मिसाईलों के प्रयोग में निरन्तर वृद्धि हो रही है जो वायु को रेडियोधर्मी बना रही है। बढ़ते मांसाहार में पशुओं के खाद्यपूर्ति के लिये चालीस प्रतिशत वर्षा-वनों को नष्ट कर दिया है। अतः प्राण-वायु आक्सीजन पर भी दुष्प्रभाव होगा। दिन प्रतिदिन भयंकर शस्त्र, गोले-बारूद बनाने की होड़ लगी है। कभी किसी दिन किसी धर्मान्थ, कट्टर पगले द्वारा विश्वयुद्ध के लिए अणु शस्त्रों में आग लगाई जा सकती है। वैसे भी वर्षा वनों की कटाई, वर्षा पर दुष्प्रभाव डालती है। कहते है शिव महादेव ने जहर पीया , एवं अमृत दिया। हरित पेड़ पौधे कार्बनडाईऑक्साइड खाकर सूर्यदेव की साक्षी में हमें
ऑक्सीजन देते हैं। अतः पेड़ पौधों का संरक्षण संवर्धन करें। वायुमण्डल के विषाक्तिकरण होने को अधिका-अधिक