Book Title: Jaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Author(s): Chhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
Publisher: Rajasthani Granthagar

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Page 175
________________ 165/जैनों का संक्षिप्त इतिहास, दर्शन, व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार MEANING:- The basic urges of actions are-four passions motivated by the one's desires to do some act, for which he then plans and ultimately implements it. Accordingly he would undertake activity of his mind, speech and body. He would then do it either himself or get it done through others, or would approve of it done by others. Binding of auspicious or inauspicious karmas is through above narrated 108 type of activities (4x3x3x3). Navakar mantra too is repeated for 108 times to atone sins. - निर्वर्तनानिक्षेपसंयोगनिसर्गा द्विचतुर्द्वित्रिभेदाः परम् (6:10, तत्वार्थ सूत्र) . अर्थ:- अजीवाधिकरण आस्रव दो प्रकार की निर्वर्तना, चार प्रकार का निक्षेप, दो प्रकार का संयोग और तीन प्रकार का निसर्ग इस तरह 11 भेद वाला है। अजीव अधिकरण से आस्रव इस प्रकार होते हैं। निर्वर्तना का अर्थ निर्माण करना है। यह दो प्रकार का है- दुष्चेष्टा या शस्त्र निर्माण से। पाँच प्रकार के शरीर हैंऔदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस एवं कार्मण- इनमें से किसी प्रकार के शरीर से कर्म-बन्ध की कुचेष्टा से या दूसरे प्रकार का अधिकरण शस्त्र निर्माण आदि से है जिसका हिंसा करने में प्रयोग होता है। निक्षेप का अर्थ, रखना है। बिना जागरूकता के वस्तु आदि को रखना या मलमूत्र श्लेष्म को सहसा उत्सर्जित करना, भय से या बिना विवेक या उतावल से रखने से या भोजन के पदार्थों को एक दूसरे में मिलाने से अथवा मन में दूषित भावं लाने से या ऐसे वचन बोलने से अभिप्राय है। nirvartanā niksepa samyoga nisargā dvi caturdvi tribhedāh param (6.10 Tattavarth Sutra)

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