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अनेकान्त एवं स्याद्वाद / 108
एसगोट इत्यादि । आधुनिक भौतिक विज्ञान ने यहाँ तक प्रमाणित किया है कि अणु से अति सूक्ष्म परमाणु जैसे - इलेक्ट्रोन, प्रोटोन, न्यूट्रोन तथा कुल 60 प्रकार के विभिन्न धर्मी पार्टिकल हैं ; जो महावीर के अनेकान्त को प्रमाणित करते हैं। इकसठवे परमाणु पार्टिकल पर संसार भर के वैज्ञानिक अरबों रूपये खर्च कर खोज रहे हैं कि भार - विहीन परम परम परमाणु यह इकसठवा Gods पार्टिकल या 'हिग्स बोसोन कैसे भार प्रदान करता है । मनुष्य में मति ज्ञान, श्रुति ज्ञान पाने की चेतना है, वही आत्मा राग द्वेष रहित अवस्था में 'केवल - ज्ञान' तक पा सकता है। एक दिन वैज्ञानिक इसे भी ऐसे प्रयोगों से जान सकेंगे ।
स्याद्वाद अनेकान्त की ही व्याख्या करता है। इसके लिए सापेक्ष-मार्ग का एक दृष्टि, एक रूप से, इस सत्य पक्ष से इत्यादि कथनों से विविध अर्थ स्पष्ट करता है । 'स्याद्वाद - मंजरी' में इसे स्पष्ट किया है। अतः यह प्रमाण रूप है, निश्चित है। इसे संदिग्ध, संशय पूर्ण कहना अनुचित है। सत्य, अहिंसा, अनेकांत अचौर्य, अपरिग्रह, संयम एवं ब्रह्मचर्य के सही अर्थ समझाने, अनंत, धैर्य, ध्यान, संयम, तप, सहनशीलता से इन्हे उद्भासित कर स्वयं एवं लोक जीवन में इसकी उपादेयता को प्रतिष्ठापित करना, महावीर का लक्ष्य था । यह भगवती अहिंसा और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ऐसे अनेकांत - स्याद्वाद के अमोध अस्त्र की चिरकाल आवश्यकता रहेगी। कर्म मुक्ति का यही शाश्वत मार्ग है, अतः मोक्ष सिद्धि का भी ।
इससे विपरीत मार्ग - मिथ्यात्व, हिंसादि का है। थोड़ा और विस्तार से सन्मार्ग सम्यग् ज्ञान, दर्शन, आचार को भी साथ साथ समझें जिनके लक्षण भिन्न हैं । तुलना से यथार्थ ज्ञान, उपादेय प्राप्त होगा। द्रव्य, क्षेत्र, काल एवं भाव का महावीर की इस शोध पर भी प्रभाव पड़ा है।
एक संक्षिप्त विवरण महावीर कालीन परिस्थितियां का निम्न प्रकार है। मगध नरेश श्रेणिक ( बिम्बसार ) के पुत्र कुणिक एवं