Book Title: Jaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Author(s): Chhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
Publisher: Rajasthani Granthagar
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तत्वार्थ सूत्र की विषयवस्तु एवं संदेश/146
लेना), प्रमाद (न करने योग्य कार्य करना और करने योग्य कार्य न करना), कषाय एवं योग हैं जिनके कारण मिटने पर जीव केवली हो जाता है एवं केवल काया के योग से क्षणिक कर्म बंधन होता है जो तत्काल समाप्त हो जाता है। आयुष्य पूर्ण होने पर अथवा समुद्धात क्रिया द्वारा अन्य अधाति कर्मों को भी अल्प कर इनके समाप्ति पर जीव सर्वकर्म क्षय कर मोक्ष गति को प्राप्त करता है। __ इस प्रकार हमने तत्वार्थ सूत्र की विषयवस्तु को एवं उसके संदेश को समझने एवं प्रस्तुत करने का प्रयास किया जो मानव एवं जीव मात्र का त्राण है। एकता का आधार है। . उमास्वाति जी द्वारा फरमाया गया है कि जो व्यक्ति भगवान की इस वाणी का मंथन, प्रचार, प्रसार करेगा, जिन वचन रूपी मोक्ष मार्ग आराधना करने वाला हो या हितरूप श्रुत का उपदेश देने वाला हो वह अपना और पर का दोनों का अनुग्रह-कल्याण करता है। संसार के विभिन्न कष्टों के निवारण का एवं पृथ्वी को स्वर्ग बनाने का यही संदेश है। क्योंकि यही मोक्ष मार्ग है।