Book Title: Jaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Author(s): Chhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
Publisher: Rajasthani Granthagar
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47/जैनों का संक्षिप्त इतिहास, दर्शन, व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार
तू परमात्मा का पुत्र मसीह होने का दावा करता है या नहीं? यीसु ने कहा हाँ मैं हूँ ", तब उसने कहा “यह परमेश्वर की सरासर निन्दा है।" "प्राणदण्ड" दें उन्होंने उनके मुँह पर थूका, थप्पड़ मारे, कोड़े मारे। जैसे महावीर के लिए मखलि गौशालक ने कहा , "वे सर्वज्ञ नहीं मैं सर्वज्ञ हूँ।" जिसका महावीर ने उस पर न क्रोध किया न बदला लिया। - पीलातुस ने पूछा, "क्या तुम यहुदियों के राजा हो ?" तब यीशु ने कहा, "मेरा राज्य इस जगत का नहीं।" सैनिकों ने काँटों का मुकुट पहनाया, उपहास किया; "यहुदियों के राजा को प्रणाम।" पीलातुस ने कहा में यीशु में कोई दोष नहीं पाता हूँ। लेकिन यहुदी नेता ईर्ष्या रखते थे देखा कि भीड़ उपद्रव कर रही थी तब पीलातुस ने पानी मंगवाया। भीड़ के सामने कटोरे में हाथ धोते हुए कहा कि ,"मैं इस भले मनुष्य के खून से निर्दोष हूँ।" भीड़ ने कहा, "उसका खून हम पर और हमारी संतान पर हो।" जब यीशु को क्रॉस पर चढ़ा रहे थे तो यीशु ने फिर भी प्रार्थना की, "पिता इन्हें क्षमा करें क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।"
परम अहिंसक महावीर एवं यीशु में ऐसी अपूर्व समानताएं हैं। काश विश्व की सबसे बहुसंख्यक जाति इसाईगण अपने जीवन एवम् व्यवहार में, एवम् अन्य लोग भी प्रभु महावीर से प्राणी मात्र के प्रति अहिंसा एवं करूणा को हृदयंगम कर सकते ! शाकाहार एवं विश्व प्रेम के प्रति और सक्रिय रचनात्क सबक लेते !