Book Title: Jaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Author(s): Chhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
Publisher: Rajasthani Granthagar
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महावीर के जीवन के मार्मिक प्रसंग/42
लगा। यह कथा भी हेमचन्द्राचार्य द्वारा रचित "त्रिशष्टि-शलाधा पुरुष", में वर्णित है। __गोशालक आजीविकों का नेतृत्व करता था। आँचारंग-सूत्र में लिखा है एक निगण्ठ मुनि, आमोद-प्रमोद का परित्याग कर देता है। लेकिन जो निगण्ठ आमोद-प्रमोद से प्रेरणा लेता है वह स्वयं आमोदमय हो जाता है, वह असत्यवादन कर सकता है । इसलिए महावीर ने चार- महाव्रतों के साथ ब्रह्मचर्य को भी जोड़ा। महावीर ने ऐसे धर्म की नींव डाली जो 2500 वर्षों से अपरिवर्तित रहा क्योंकि वह सत्य, अहिंसा, संयम एवं तप पर आधारित था। साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका चतुर्विध संघ की स्थापना की। - जैनों का विश्वास है महावीर ईसा पूर्व 527 में निर्वाण को प्राप्त हो चुके थे अतः बुद्ध उनसे 16-17 वर्ष पूर्व मुक्त हो चुके थे। यह अभिमत सिंहल बौद्ध- परिपाटी पर आधारित है, लेकिन बौद्ध ग्रंथों में यह तथ्य भी स्पष्ट उल्लेखित है कि महावीर के निर्वाण की सूचना, बुद्ध को आनन्द ने दी जिससे यह निष्कर्ष भी निकलता है कि वे महावीर- निर्वाण के समय जीवित थे। यह निःसन्देह है कि दोनों महामानव समकालीन अवश्य थे।
सत्य, अहिंसा के अभिनव प्रयोग, राजनैतिक क्षेत्र में इसी क्रम में महात्मा गांधी ने कर, न केवल भारत को आजादी दिलाई वरन् तत्पश्चात् अंधेरे महाद्वीप-दक्षिण अफ्रीका में भी, एवं अन्य देशों में तथा हाल में मिश्र, टयुनिशिया, लिबिया सीरिया आदि में स्वतंत्रता के लिए यह प्रजातांत्रिक एवं कुछ हद तक अहिंसक क्रांति आई है। यहाँ तक कि इन मार्मिक अहिंसक प्रयोगों की कड़ी में श्री अन्ना हजारे ने मात्र 4 दिन के अनशन से सर्वव्यापी भ्रष्टाचार के विरूद्ध जन लोकपाल बिल बनाने की समिति हेतु आम सहमति बना ली। शस्त्र एक से एक बढ़कर हैं लेकिन अहिंसा अमोध शस्त्र है। युद्ध में लाखों योद्धाओं को मार गिराने वाले से आत्म विजय करने वाला श्रेष्ठ है।
-जय महावीर