Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
अनंशानुबधी चतुष्क
अनादिवधक ३१०६, उदय १३७५, उदय की विशेषता अनलकायिक-१६४ ब । आकाशोपपन्न देव २४४५ ब । १३७२ अ, उदयस्यान १३८६ अ, ब, उदीरणा अनवधत-१६५ ब । १४११, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४२७६ अनवधत अनशन-१६४ ब । अ, ४२७८, सत्त्वस्थान ४२६५, सत्त्वस्थान अल्प
अनवधृत काल अनशन-१६५ ब । बहुत्व ११६५ ब, ११६७ ब, त्रिसयोगी भग
अनवसपिणी सिद्ध-अल्पबहुत्व ११५३ ब । १.४०१ ब । संक्रमण ४८५ अ, अल्पबहत्व
अनवस्था-१६४ ब, दोप २४६० ब। ११६८ ब।
अनवस्थाप्य--१६४ व, परिहार प्रायश्चित ३३५ ब, अनतानुबंधी चतुष्क--उदय १३७४ ब ।
३ १६१ ब । अनंतावधि ज्ञान-१.१८७ व ।
अनवस्थित-१६५ अ, अवधिज्ञान ११८८ अ,११६३ ब, अनक्षर वचन-३२२७ अ।
कुंड १२०६ ब। अनक्षरात्मक भाषा-३२२६ ब ।
अनशन-निर्देश १ ६५ अ, निश्चय १६५ अ, व्यवहार अनक्षरात्मक तज्ञान--४ ५६ ब ।
१६५ अ, तप १६५ अ, अवधूत अनवधन काल अनगार~१३३ ब, ३४ अ, ६२ अ।
१६५ ब, अतिवार १६५ ब । अनगार धर्म-१.६२ अ।
अनस्तमी व्रत-१६६ अ । अनगार धर्मामृत-१६२ ब, आशाधर १.२८० ब, अनाकाक्ष-नि काक्षित २५८५ ब । इतिहास १३४४ अ ।
अनाकांक्ष किया -१.६६ अ, क्रिया २१७४ ब ।। अनधिगत चारित्र-२२८० ब, २.२८५ अ ।
अनाकार----१.६६ अ, उपयोग १२२८-२२६, राण अनधिगम चारित्रार्य-आर्य ८२७५ अ।
२.२४२ ब, प्रत्याख्यान ३.१३१ ब। अनध्यवसाय--१६२ ब, विपर्यय ४१४५ ब, सशय ४१४५ अनागत-काल अल्पबहत्व ११४२ ब, प्रत्याख्यान ब, १६२ ब ।
३.१३१ ब । अभिलापा ३.१८६ ब । अननुगामो-१६२ ब, अवधिज्ञान ११८८ अ, ब,
अनाचरित-३५२६ अ । ११६३ ब।
अनाचार-१६६ अ, अतिचार १४४ ब । अननुभाषण-१६२ ब।
अनाचिन्न-आहार दोष १२६० ब, १४१३ अ । अनन्य-अशरण भावना २४६१ अ।
अनात्मभूत-कारण २५४ अ, लक्षण ३४०१ ब । अनन्यमय-३ ३३८ ।
अनादर-१६६ अ । जम्बूवृक्ष ३४५८ अ, ३.६१३अनपति आयुष्क-१२६१ अ।
६१४। अनपायी--१.६२ ब ।
अनादि-१.६६ ब, अनन्त १५६ अ, अनुभाग १.८६ अ,
आगम १२२८ अ, काल २.८८ ब, जीवकर्म बन्ध अनभिज्ञ-४.७४ अ।
३.१७३ ब, नय १६६ ब, नित्य पर्यायाथिक नय अनभिगृहीत-३ ३०१ अ।
२,५५१ ब, पद ११०२ ब, १०३ ब, परिणाम अनभिलाप्य-श्रुत १२२८ ब ।
३.३१ ब, प्रकृतिबन्ध १.६६ ब, ३८८ अ, ३१६६ब, अनभिव्यक्ति-१६२ ब, अभिव्यक्ति ३६१६ अ।
बन्धक ३ १७६ अ, बन्धी प्रकृति ३.६० ब। मिथ्याअनय- १.६२ ब, ग्रह २.२७४ अ ।
दृष्टि १४३८ अ, २१८५ अ, ४३६८ ब, ४३६६ अ, अनयाभास-१६२ ब, नय २५२४ अ।
४ ३७२ अ। शरीरबन्ध ३.१७० ब, सिद्धान्त पद अनरण्य-रघुवश १.३३८ ।
१४१६ ब, ३.५ अ। अनर्थक पदत्व-१.१३६ अ।
,अनादि नय-१६६ ब, नित्य पर्यायाथिक २५५१ ब । अनर्थदंड- १.६२ ब, अतिचार १.६४ अ, प्रयोजन अनादि पद -११०२ ब, १०३ ब, सिद्धान्त पद १.४१६ ब, १६४ ब, महत्त्व १६४ ब, आखेट १ २२५ अ।
३५ अ। अनर्थसंतति-२ ४७० अ।
अनादिबंध-जीवकर्मबध ३.१६६ ब, ३.१७३ ब, अनाद्ध प्राप्तार्य-आर्य १.२७४ ब ।
प्रकृतिबध १.६६ ब, ३.८८ अ, शरीरबंध अनर्पित-१.६४ ब ।
३ १७०ब, स्थितिबध ४.४५७ अ। अनल-१६४ ब, अग्नि १.३५ अ।
अनादिबंधक-अनन्त ३.१७६ अ, बादर साम्परायिक
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 ... 307