Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 15
________________ अथान अध्यवसाय स्थान अथान-३.२०३ अ। परिणाम २७-११। अथालंद-चारित्र २.२८० ब, सल्लेखना १.४५ ब । अधरोष्ठ-कायोत्सर्ग अतिचार ३.६२१ ब । अदंडयता अधिकार-३.१६६ अ । अधर्म-अमढदष्टि ११३३ अ, देवमढता ३.३१५ ब, धर्म अदंतधोवन -१.४६ अ, २.४७ ब। २.४६८ अ, ४४३१ ब, मिथ्यादर्शन ३३०० अ, अदतमंजन-कायक्लेश २ ४७ ब । स्वभाव ४.५०६ ब। अदत्त-१.२१५ अ। अधर्म द्रव्य -२.४८७ ब, अनुभाग १.८८ अ, अस्तिकाय २.४८७ ब, उत्पादादि, १.३६२ ब, उपकार २६३ ब । अदत्तग्रहण-- आहारातराय १२६ ब, अस्तेय १२१३ ब, १२१४ ब, ४४४६ अ । अधस्तन कृष्टि - २.१४१ अ, द्रव्य २१४१ ब । अदत्तादान-अस्तेय १.२१३ अ, १.२१५ अ, ४.४४६ अ, अधस्तन द्वीप-१.४८ ब । प्रत्यय ३१५६ अ। अधस्तन शीर्ष-२१४१ ब । अदरख-भक्ष्याभक्ष्य ३२०४ । अधिक-१.४६ अ, सकलन प्रक्रिया २.२२२ ब । अदर्शन-अध्यवसाय १.५२ ब, परीषह ३३३ ब, ३ ३४ अ, अधिकरण-१.४६ अ, अनुयोग ११०२ अ, कारक १.४६ ब, प्रज्ञापरीषह ३.११४ ब । २.४६ अ, कर्ता कर्म २.१७ ब, क्षेत्र २.१९२ ब, अदिति-१,४६ ब, विद्याधर वंश १.३३९ अ । न्याय २.६३३ ब, शक्ति १.४६ अ, सिद्धान्त अदीक्षा ब्रह्मचारी-३१६४ ब । ४४२७ ब। अदृष्ट-१.४६ ब, व्युत्सर्ग ३.६२३ अ। अधिकार-११०२ अ। अदेव-देव ३.३०० अ। अधिकारिणी क्रिया-१५० अ, क्रिया २.१७४ ब । अद्धा-१.४६ ब, काल २८६ ब। अधिगत चारित्र--२.२८० ब । अद्धा असक्षेप-१.४६ ब। अधियत चारित्रार्थ-२.२८५ अ, २८८ ब । अद्धाच्छेद-१४७ अ, अनुयोगद्वार १.१०३ अ, विभक्ति अधिगम-१५० अ।। ३ ५५७ अ। अधिगमज-ज्ञान १५१ ब, सम्यग्दर्शन, १५१ अ, अद्धापल्य-उपमाप्रमाण २.२१८ अ, कालप्रमाण ४३६२ अ। २.२१७ ब, क्षेत्रप्रमाण २.२१५ ब । अधीश्वर-३४०० ब। अवायु-आयु १२५३ अ, ब । अधोऽधिगम-१.५२ अ। अद्धा सागर-कालप्रमाण २.२१७ ब । अधोगुरुत्व -२२५३ ब । अद्वैत-२.४५८ अ द्रव्याथिक नय २.५४२ ब । अधोगं वेयक--४५१८-५२० । अद्वैत दर्शन-१.४७ अ, वेदान्त ३ ५६६ अ । अधोगौरव धर्म-पुद्गल २२३५ ब । अद्वैत नय-१.४७ अ, २.५२३ अ। अधोधिम-२६०२ ब। अद्वैतवाद-१.४७ अ, एकान्त १४६५ अ। अधोमुख-१५२ अ, नारद ४२१ अ। अद्वैतसिद्धि-३.५६५ ब । अधोलोक-निर्देश १५२ अ, ३ ४४० ब, नरक २.५७६ अ, अधकरण-उपशम १.४३६ब, ४४० अ। विस्तार २५७६ ब, चित्र ३४४१, रत्नप्रभा अधःकर्म-१.४८ अ, आहारदोष १२८७ ब, २६० ब, ३.३८६ ब । क्षेत्रप्ररूपणा २.१६१ ब। उद्दिष्ट १४१३ ब, कर्म २२६ अ, २७ अ, वसतिका अधोलोक सिद्ध---अल्पबहुत्व ११५३ अ। दोष ३.५२८ ब । प्ररूपणाएँ-सत् ४.२६६ अ, सख्या अध्यधि-१५२ अ, आहारदोष १.२६०ब। ४.११६ ब, क्षेत्र २.२०८, भाव ३.२२३ । अध्ययन-शास्त्र ४.५२४ ब, स्वाध्याय ४.५२३ अ। अधःप्रवृत्त--अप्रमत्त ४.१३० अ, उपशम १.४३९ब, अध्ययनकुशल साधु-१.५२ अ । ४४० अ। अध्यवधि-१.५२ अ, आहारदोष १.४१३ अ। अध.प्रवृत्त संक्रमण--४.८४ अ, ४.८५ ब, ४.८७ ब, अध्यवसान-१.५२ अ, पौद्गलिक ३.३१८ ब, परिग्रह अल्पबहुत्व १.१७४ ब। ३२८ ब, बन्ध ३.१७६ ब, व्यवहार नय २.५६३ अ। अधःप्रवृत्त संयत-गुणश्रेणी निर्जरा अल्पबहुत्व १.१७४। अध्यवसाय-१.५२ अ, ५३ अ, अनध्यवसाय १.६२ ब, अधःप्रवृत्तिकरण-अपूर्वकरण २.१३ अ, उपशम १.४३९ ब, हिंसा ४.५३३ अ। १.४४० अ, चारित्रमोह क्षपणा २.१७६ ब, अध्यवसाय स्थान-कषायोदय स्थान १.५३ अ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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