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जैन - शिलालेख संग्रह
लम्बी १ ही पंक्ति में है। इसके अक्षरोंका आकार श्रेष्ठी ( सेठ) पाणिधरके पुत्रोंका नाम दिया है ।
[ यह लेख मी २ इच करीब है इसका है इसमें उनके नाम है- त्रिविक्रम, आल्हण और लक्ष्मीवर । ]
El, 1, no XIX no7 (P, 168 )
३३०
खजुराहो- संस्कृत
जैन मन्दिरोंकी प्रतिमाओं पर से तीन शिलालेख [ बिना काल निर्देश का ]
१ [ अ ] इपत्यन्वये श्रेष्ठ श्रीपाणिघर [I]
[ यह अधूरा शिलालेख एक ही पंक्ति में है, जो कि ५ इञ्च लम्बी है । लगभग है इञ्च अक्षरोंका आकार है । ग्रहपति – अन्वयु । जैसे इस शिलालेख में है वैसे ही वह आगे दो शिलालेखों में भी आया है ।
[EI,I. P. 152.]
३३१
खजुराहो- संस्कृत
[संवत् १२०५ = ११४८ ई०]
[ इस शिलालेख के लेखक का पता नहीं है । इतना ही मालूम है कि यह
संवत् १२०५ का है। ]
[A. Cunningham, Reports, XXI, P. 68, 0, 8. ]