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जैन - शिलालेख - संग्रह
द्वितीय शिलालेखके, जिसका ऐतिहासिक भाग पहले ही लेख- जैसा है, दान भी ठीक उसी काल, उसी व्यक्ति, और उसी कार्यके लिये किये गये हैं । पर इस लेखमें दान स्वयं वेणुग्रामकी भूमिके थे। इस लेखमें कार्त्तवीर्य तृतीयकी पत्नीका नाम पद्मावती दिया हुआ है। यही नाम दूसरे कन्नड़ लेखों में पद्मलदेवी' आता है।
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इन सब ऊपरके शिलालेखों परसे निष्पन्न रट्टोंकी वंशाबली इस प्रकार प्रतिफलित होती है:
[ यहां यह ध्यान में रखना चाहिये कि वंशपरम्परामें सिर्फ एक जगह टूट आती है और वह शान्तिवर्मा और ननके बीच में है । ]
मेर
1 पृथ्वीराम
पिट्टग, नीजिक या नीबियब्बे से विवाहित
· शान्त, या शान्तिवर्मा, चन्दिकम्बेसे वि०
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दावरि, या डायम
नन्न
काच वीर्य प्रथम
या कत प्रथम
कन्नर प्रथम,
या कन्न प्रथम
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