Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 03
Author(s): Gulabchandra Chaudhary
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 557
________________ जैन-शिलालेख-संग्रह संवत्सरद माघ सुध(ख)-पञ्चमी-वृहवारदन्दु कोळूरोळ सुर-लोक प्राप्तेयादळ ॥ सरस्वतिगण-पुत्र-सुमति-पण्डित-शिष्य रूवारि सोमोजन पुत्र दुमायन बेस [ इस लेखमें किसी भी सुरलोक प्राप्तिका दिन दिया है और कोई विशेषता नहीं है। ] [ EC, VIII, Sagar tl., No. 108 ] ८३८ हले-सोरब:-संस्कृत तथा कचड़ । [काल निश्चित नहीं] [हले-सोरबमें, उसी स्थानपर एक दूसरे समाधि-पाषाणपर ] श्रीमत्परमगंभीरस्यावाटामोवलाञ्चनम् । जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिन शासनम् ॥ [१] श्री हेमचन्द्र-देवर गुड्डनु दम गोडन निषिधि श्रो-बारागाय श्रीमतु यीकल माडिदनु सोरषद बयिरोजनु॥ लेख स्पष्ठ है। [ EC, VIII, Sorab tl., No. 53. ] ८३६ गिरनार, संस्कृत-मग्न । श्वेताम्बर लेख। [ ASI, XVI, P. 358, No. 15, t. & tr.] गिरनार, संस्कृत-भग्न । श्वेताम्बर लेख। [ ASI, XVI, p. 358, No. 17, t. & tr.]

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