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गिरनार के लेख
८४१
गिरनार ; - संस्कृत |
[ दक्षिणी प्रवेश-द्वारके पासके गिरिनारी मन्दिरके मण्डपमें भूमि मलिके एक पाषाण- तळपर ]
श्री सुभकीर्तिदेव साहुजाजासुत साहु तेनकीतिं देव ।
५६१
अनुवादः - श्री सुभकीर्तिदेव और साहु जाजाके पुत्र साहु ते कीर्तिदेव । [ ASI, XVI, p. 356-357, No. 18. ]
८४२
भोलरी - संस्कृत और गुजराती ।
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[ काल अनिश्चित ] श्वेताम्बर लेख ।
[ J. Kirste, EI, II, No. V, No. 3 (p. 25-26 ) t. & tr.]
८४३
रामनगर (अहिच्छन ); संस्कृत |
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[ काल अनिश्चित ]
रामनगर के पुराने किले से उत्तरकी ओर कुछ १०० ग दूरीपर और नसरतगञ्ज के पूर्व में 'कतारि खेरा' नामकी एक बहुत छोटी पहाड़ी है । यह ' कतारिखेरा' ' कोत्तरि खेरा' का अपभ्रंश ( बिगड़ा हुआ रूप ) मालूम पड़ता है । ' कोत्तरि खेरा' का अर्थ होता है 'मन्दिरका ढेर । यहाँ जनरल कनिंघमने खम्भेका कङ्कडका चोखूँटा पाया और एक छोटे मन्दिरकी करीब-करीब लुप्तप्राय दीवालें खोज निकाली थीं । उसने पहिले इसे कोई बौद्ध-मन्दिर समझा, परन्तु पीछेसे वहाँ सिवा एक बुद्ध-मूर्तिके और कुछ न होनेसे, यह खयाल छोड़ दिया । लेकिन
पर कुछ नग्न मूर्तियाँ निकलीं जोकि दिसम्बर जैन सम्प्रदायकी थीं। इससे उसने जैन मन्दिर समझा । पत्थर के एक परिवेषक (Railing) स्तम्भपर, जिसमें ऐसी मूर्तियोंकी ६ कतारें थीं, निम्नलिखित समर्थक लेख मिला :
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