Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 03
Author(s): Gulabchandra Chaudhary
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 576
________________ ( ३६ ) सीगेनाड ३१६ सीली ३०५ क सुकद हेग्गडे ३६० सुगन्धवर्ति बारह ४७० सुगुणि देवी (कोङ्गालव) ५६० सुम्गगौएड ३१८ सुग्गियन्बरसि ११३ सुन्ध (पर्वत) ५०७ सुदत्त मुनिप ४५७ सुमतिकीर्ति ७०२ सुमति भट्टारक ३७३ सुल्तान हुशंगगोरी ६१७ सूमाक ३.५ क सूरनल्लि ३२४ सूरस्थ गण ३१८, ४६० सूर्यचमूपति ४४८ सेउणचन्द्र (द्वितीय, तृतीय) ३१७ से उणदेव ३१७ सेटरनागप्प ३३८ सेन (राजा) ४४६,४५३ सेन (रह) ४४६ सेन (कालसेन) ४५४ सेनगण ३२२, ५११, ५३८, ६११ ७६६ सेन बोवमारय्यने ३३३ सेनुवपुर ३४६ सोम ३१३, ३६४, ४०८, ४४८ ४५७,५२६ सोमएणगौड ३३८ सोमदरणायक ४६० सोमदेव ४१८ सोमनाथ ३२४ सोमवे ४३३ सोमल देवी ४३३, ४५१, ४५५,४५६ सोमय ४६४ सोमय्य ३२८ सोमय्य (हेगडे) ४६. सोमेश ४६६ सोमेश्वर ४.८ सोमेश्वर तृतीय (चालुक्य) ३१४ सोमेश्वर चतुर्थ ४१५ सोवरस ३०७ सोविदेव २७७, ३८६,४०८ सोविसेट्टि ३६४ सोरब ३२२, ४५७ सोसेबूर ३०८, ३६७ सौगत ३१६ सौम्यनाथ ३.५ सौंदत्ति ४७० स्थिरमति ३०५ क

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