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afe लेख
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सूर्यग्रहणके समय ( उक्त ) भूमियाँ, सूर्य और चन्द्रको साक्षी बनाकर दी हैं । हमेशाका अन्तिम श्लोक |
पारिस ( पार्श्व ) - गौड तथा दूसरे गौडोंने ( जिनके नाम दिये हैं ) ( उक्त ) भूमियाँ प्रदान कीं ।]
[ EC, VIII, Sagar tl., No. 60]
६५०
गेडि; - संस्कृत - ध्वस्त ।
[ सं० १२३६ = १४७६ ई० ] श्वेताम्बर लेख ।
[ D. P. Khakhar, Report on remains in Kachh (ASWI, Selections, No. CLII), p. 88, No. 40, t. ]
६५१
भिलरी; -- संस्कृत और गुजराती ।
[सं० १५३८ = १४८१ ई० ] ( श्वेताम्बर )
[ J. Kirste, EI, II, No. V, No. 1, (p. 25), t. & tr.]
६५२
हरवे - संस्कृत तथा कश्चन ।
,
[ शक सं० १४०४ = १४८२ ई० ]
[ हरवे ( उय्यम्बळूिळ परगना ) में, शिवलिंगय्याके खेत के दक्षिणकी तरफ एक पाषाणपर ]
श्रीमत्परमगंभारस्याद्वादामोघलाञ्छनम् ।
जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनम् ॥
स्वस्ति श्री शक- वर्ष १४०४ सन्द वर्त्तमान- शुभकृत् संवत्सरद चैत्र -शु ५ लु हरवे देवप्पाळ मग चन्दप्पनु तम्म कुल स्वामी हरवेय बस्तिय आदि- परमेश्वरन