Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 03
Author(s): Gulabchandra Chaudhary
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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मयूरके लेख
५६५
[ तोरणके स्तम्भोंको सुधरवाकर और उनपर बिन-मुनियोंके प्रतिबिम्बों की स्थापनाकर राय - करणिक देवरसने, अपने पिता चण्डप्प तथा के नाम पर, एक दीप-स्तम्भ बनवाया । ]
... ...
[ EC, IV, Chamrajnagar tl, No. 156]
७०६-७०८
सरोत्रा; - संस्कृत और गुजराती ।
p
[ सं० १६८३ = १६३२ ई० ]
श्वेताम्बर लेख ।
[ J. Kriste, EI, II, No. V, Nos. 20-28 ( p. 31-33 ), t. et. &. ]
७०९
श्रवणबेलगोला - कन्नड़ ।
[ शक १५५६ = १६३४ ई० ]
[ जै० शि० सं०, प्र० भा० ]
७१०
इलेबीड; - संस्कृत और कन्नद । [ शक १५६० = १६३८ ई० ] [ पार्श्वनाथ बस्तिके आँगन में पाषाणपर ] श्रीमत्परमगम्भीरस्याद्वादामोघलाञ्छनम् । नीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनम् ॥

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