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होगेकेरीके लेख
वोडेयरके हुक्मसे,-बोम्मण-सेटि के पुत्र पदुमण-सेटिने एक धर्म-शासन-पत्र लिखवाया, जिसकी भाषा इस प्रकार थी :-इन्दगरस-वोडेयरके हाथोंसे, पदुमण सेटिने अपने द्वारा शासित वोगेयकेरेके मौलिक अधिकारको प्राप्त करके उसने वहां एक चैत्यालय बनवाकर पावतीर्थेश्वरको विराजमान किया तथा पूजा और अभिषेक का प्रबन्ध करनेके लिये ( जिसकी कि विस्तृत सूची दी हुई है ) उसने (उक्त) भूमियोंका दान दिया । और इन सब लिखे हुए धर्मों को चैत्यालयके उत्तरमें बनवाये गये मकानमें सुरक्षित रक्खा । मेरे एक हजार वर्ष बाद मेरे पुत्र, मेरी पीछेकी पीढ़ी और सन्तान मकानपर अधिकार कर सकते हैं, लगानकी देखभाल करते हुए ( उक्त ) धर्मोंको सञ्चालित कर सकते हैं। प्रत्येक चीजका खर्च नियमित रूपसे व्यवस्थित कर दिया गया है। ( अन्तका लेख पढ़ा नहीं जा सकता।)]
[EC, VIII, Sagar tl., No. 163, III part. )
बिदरूरु-संस्कृत तथा कन्नड़ ।
[शक १४१३ - १४६१ ई.] [बिदरूहमें, जनार्दन मन्दिरके ताम्बेके पत्रपर ] श्रीमत्परम-गंभीर-स्याद्वादामोघ-लाञ्छनम् । जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिन-शासनम् ।। श्रीमत्-तोळवदेश-मिश्रित-महा सङ्गोत-सत्-पत्तने बाभातीन्द्र-महीन्द्र-चन्द्र-तनयः श्रो-सङ्गि-यजात्मजः । भास्वत्-काश्यप-गोत्र-सोम-खजः श्री-सराम्बोदर क्षीराम्भोधि-सुधाकरो नुत-जिनः श्रा-साळुवेन्द्राधिपः ॥ साक्षीकृत्य निष-प्रताप-दहनं गन्धर्व-पादाहतिप्रोमूतोदर-धूलिपाण्डवसन संयोज्य नीराजनम् ।