________________
जैन-शिलालेख-संग्रह
६२२ गिरनार-संस्कृत । [सं० १९८५ = १४२८ ई०]
स्वेताम्बर लेख। [Revised Lists ant, Bombay ( ASI, XVI), p. 354-355, No 12, t. & tr.]
६२३ आनेवाळु-संस्कृत और कचर। [ साधारण वर्ष ११३० ई० ( लू० राइस )] [आनेवाळ ( बेट्टदपुर प्रदेश) में, बस्तिके रण-मण्डपमें भीतर के
दाहिनी ओरकी दीवाल पर] . श्रीमतु साधारण-संवत्सरद माग-सुध १० यलु बानेवाळ-विकण्णगौडर मचळ होनण-गौडा तम्म मग हुट्टिद बोम्मण-गोडरिगे पुण्यवागबेकेन्दु कट्टिसिद ब्रह्म-देवरु पद्मावतिय बस्तिय धर्म-शासन श्री श्री ।
[आनेवाळके चिकण-गौडके पुत्र होन्नण-गौडने अपनी चिरन्जीव बोम्मण्णगौडकी पुण्यकी प्राप्ति के लिये ब्रह्मदेव और पद्मावतीकी बस्तिको बनवाया । ]
[ EC, IV, Hunsur tl., No. 62]
१. कंसके शक नागरी अक्षरों में हैं।