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जैन-शिलालेख-संग्रह
३. चारणोंसे सेवित इस पर्वतपर उसने श्री पार्श्वनाथका विम्ब बनवाया, (प्रतिष्ठित किया ) और इस कृत्यसे उसके कर्मोंकी निर्जरा हुई।
४. जिस तरह भरतने कैलास पर्वतको पवित्र तीर्थ बना दिया था, उसी तरह उसने इस पर्वतपर चिनेरवरों के विशाल-विशाल बिम्बोंको बनवाकर इसे एक सुतीर्थक रूपमें परिवर्तित कर दिया था।
५. धम्मैकमूर्ति, स्थिरशुद्धदृष्टि, दयावान, सतीवल्लभ ( अपनी पत्नीके प्रति एकनिष्ठ), दानादि गुणोंसे कल्पवृक्षके समान चक्रेश्वर निर्मलधर्मका रक्षक बन बाता है, पांचवां वासुदेव । शुम हो । फाल्गुन ३, बुधवार । [ Ing. Cave-tamples of western India,
p. 99-100, t. and tr.]
पर्वत बाबू;-संस्कृत। [सं० १२५- १२३६ ई.]
श्वेताम्बर लेख। [RI, VIII, No. 21, Nos 24-31, t.]
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दिनमाल ( Dilmal ); संस्कृत वा गुजराती। [सं० [२]१५ (१) = १२१८.]
श्वेताम्बर लेख। [EI, II, No. b, No. 4, (p. 26), t. and tr.}