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जैन-शिलालेख-संग्रह
५८६ मसार-संस्कृत। [सं० ११४५=१३८६ ई.]
[कृषभ चिहवासी आदिनाथकी प्रतिमाके चरण-पाषाणपरका लेख] १-सं० १४४३ ज्येष्ठ सुदि ५, गुरो महासारस्य च २-राजनाथ देव राज्ये काष्ठसंघे आचा३- ये कमलकोर्ति जयसरङ्गाचार्ज ४-* * वपुत्रल * * *
यह लेख सं० १४४३में, सारंग ( या उसके सुत्र ) द्वारा एक प्रतिमाके समर्पणका उल्लेख करता है। समर्पण महासारके राजनाथ देवके राज्यमें हुआ। गुरु काष्ठासंघके कमलकीर्ति आचार्य थे।
नं०२ [एक प्रतिमाके, जिसका चिह्न मिट गया है, चरण-पाषाणपरका लेख] १–सं० १४४३ समये ज्येष्ठ सुदि ५, गुरो २-राजनाथ देव प्रवर्द्धमाने' महासागस्य काष्ठसंघे मथुरान्वये ३- पुष्करगणे प्रतिथ वज कमलकोति देव ४-जैसवल वेसल रगचर्न * * * ५-पुत्र लक्म देव सम * * * ६-यन प्रतिष्ट * *
इस लेख में पहलेके लेखके दिन ही एक प्रतिमाके समर्पणकी बात है। राजनाथ देव और उसके गुरु कमलकीर्ति का नाम स्पष्ट है।
1. सूबमें राज्ये छूट गया है।
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