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जैन-शिलालेख संग्रह __ यादव शमें सळ हुआ था। एक चीतेको किसीपर शिकार करनेके लिये उछलते हुए देखकर और किसी मुनिके यह कहनेपर कि "मारो (पोय ) सळ ?" सळने इसे मारकर 'पोसळ' नाम प्राप्त किया था और यह नाम आगे चलकर उसके तमाम वंशका द्योतक हुआ। यदुवंशमें सळके बाद बहुत-से प्रबल राजा हुए, उन्होंमें एक विनेयादित्य हुआ। उसकी रानीका नाम केलेयब्बरसि था।
जिस समयमें दोनों (विनेयादित्य और केलेयबरसि ) सोसवोरुमें रहते हुए सुख और बुद्धिमत्तासे राज्य कर रहे थे शक सं० ६६७ में केलेयल-देवीने पर्रियाने दण्डनायकसे देकवेदण्डनायकितिको व्याह दिया और भेंटमें आसन्दिनाड्के सिन्दगेरीको उसे दिया ।
विनेयादित्य पोयसळ और रानी केळेयब्बेसे राजा वीर-गङ्ग-एरैयङ्ग उत्पन्न हुआ । वीर-गङ्ग एरेयङ्ग और एचल-देवीसे बल्लाल, विष्ण और उदयादित्य उत्पन्न हुए थे । बल्लाल या बल्लु-देवकी प्रशंसा ।
जिस समय बल्लालदेव अपनी राजधानी बेलुहरुमें रहकर सुख-शान्तिसे राज्य कर रहे थे, मरियाने-दण्डनायककी दूसरी पत्नी चामवे दण्डनायकितिसे पदुमलदेवी, चामलदेवी और बोपदेवी उत्पन्न हुई थीं। बल्लालदेवने इन तीनों कन्याओंका विवाह एक ही मण्डपमें शक सं० १०२५ में विभिन्न तीन राजाओंकी रावधानियोंमें कर दिया और उनकी दूध पिलाई (wet nursing ) की तनखाके रूपमें द्वितीय पीढ़ीके मर्रियाने-दण्डनायकको पुनः सिन्दगेरीका स्वामित्र दे दिया। - रावा विष्णुने तुलुः देश, चक्रगोट्ट, तळवनपुर, उच्चगि, कोळाळ, सप्तमले, बल्लूर, कश्चि, कोजु, हडिय-घट, बयल-नाड, नीलाचल-दुर्ग, रायरायपुर, तेरेपूर कोयत्तर और गौण्डवाडि-स्थल, इन सब प्रदेशोंको बीता था। साहस-गङ्गहोय्सजने विरोधी राबाओंका नाश करके तलकाडको (खादके लिये ) बलाकर घोड़ोंके खुरोंसे उसे बोतकर अपने बीरसकी नदीसे उसे सींचकर अपने यशके अच्छे बीचसे इसे बोया ।