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चिक-मागरिक लेख
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नेयिन्दं जिन-मत्तियि चिन-मुनीन्द्राहार-दानङ्गळिम् । जिन-वाक्यार्थ-विचारदिन्दलेदु मिथ्या-मार्गमं तत्त्व-मावनेयिं पेटमरत्वदिन्देरगिदळ जकब्धे जैनावि योळ् ।। तत्वमना-जिनेन्द्र-मतदिं तिळिदुज्ज्वळमाद शुद्ध-हष्टित्व-गुणार्कनिन्दलरे शील-गुण-व्रत-वारिजाळि मि-1 थ्यात्व-तमस-तमं परेये सत्पथ-वर्तिनियागि शुद्ध-सं-1 वित्वदिनेरिददळ नेगळ्द बकले नारि सुरेन्द्र-लोकमम् ॥ ललित-पतिव्रताचरण-चार-नटी-सलिल-प्रवाहदिम् । कलि-मलमं कळल्चि निज-निर्मळ-कीर्ति-लता-वितानमम् । बळेयिसि-शील-शालि-बनम परिवर्द्धिसि पुण्य-नन्दनङ् । गळने निमिचि जक्कले वलं पडेदळ सुमनो-विभूतियन् ।। परिकिसि सद-बुधर् प्पोगळे तन्न चरित्र-गुणाङ्क-मालेयम् । विरचिसि सुप्रबन्धमने दिक्- कुळ-भित्तिगळोळ तेरळिच मुं-। बरेदुदनीगळा-दिबिज-लोकदळोप्पुव लेख-जाळदोळ् । बरेयिपनेन्दु जकले महा-सतियेरिदळल्ते सग्गमम् ।। पुगेयवसर्पण भरतदायेंयोळन्वितमाद भोग-भू-। मिगळ विरामदोळ् सुकृत-दुष्कृत-वर्तनेयागि सन्द का। ल-गत-च"तु " ळन्त्यदोळे पञ्चम-कालदोळेन्दिदन्द..। महात्मरोळ् गुणमे जक्कले-नारियोळुत्तरोत्तरम् ।। [प्रताप-चक्रवर्ति-यादव-नारायण होय्सल वीर-बल्लाल देवके २३३ वर्षमें उक्त मितिको जिसका बहुत विस्तृत वर्णन है, परन्तु जो बहुत घिस गया है । जकव्वे ( बकले ) ने समाधिमरण धारणकर स्वर्ग प्राप्त किया । (सम्पूर्ण लेख उसकी भक्ति और तपकी प्रशंसासे भरा हुआ है, कुछ भाग संस्कृत में है और कुछ कन्नड़में है )। उसकी माता लपव्वे, पिता मण्डनमुद,