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बदलिपके लेख
नाथ देव - रभिषेकाष्ट - विघाचने - पूजा - विधानोचित-जयकं अलिय पात्रपाळकं खण्ड-स्फुटित वीर्णोद्धारक्कं चातुर्वर्णदाहार-दानक्कमेन्दखिय तीाचार्य
शुभचन्द्र-पण्डित-देवर कालं कचि सर्बाबाध-परिहारवागि तम्मनितलं धारापूर्वकं माडि बिट्ट दति येन्तेदडे दण्डियहल्लियुं बावळियुं गङ्गळळ्ळियुं स्थळवृत्तियु ऊरूरलु नन्दादीविगेगे नाल्कु-पणमं मुद्देय-सावन्तं चिक्क-मागुण्डिय बडगणोणियि पडुवन्तु ५०० मरद अडके-दोट, इन्तिनितुमं बिटरु धम्मदिं प्रतिपाळिसुवन्तप्पवरु गङ्गेय तडियत्नु सहस्र-कविले यं नवरत्न-भूषणं माडि सहस-ब्राह्मणरिगे दानं माडिद फल-वीधर्मक्कळिवनन्नयमं मनडोळ चिन्तिसिदनावोनावननितु-कविलेयुमननितुब्राह्मणरुमं गाङ्गेय तडियोळळिड पाप ॥ ( हमेशाके अन्तिम श्लोक )।
[विख्यात रेच-चमूपति; उसके बाद यदुवल्लभराज्यभूषण, बान्धव-पुराधिप कडवे बोप्पने शान्ति-जिन तीर्थ ( बन्दलिके ) की उन्नति की ।'
जिनशासन की प्रशंसा ।
कुन्तल-देश नव नन्दों, गुप्त-कुल मौर्य राजाओं; इसके बाद पराक्रमी रहो; इसके बाद चालुक्यों; तदनु कलचूरि-वंशके राजा बिजल द्वारा शासन किया गया। तत्पश्चात् इस देशपर राजा बलालने शासन किया।
उसके वंशका अवतार ( परम्परा):- होय्सल राजाओंका उदय और बल्लाल तककी वंशावली ही वर्णित है वो पिछले कई शिलालेखोमें बा चुकी है।
पृथ्वी रूपी स्त्रीका बनवसे-नाड चेहरा था, जिसमें नागर खण्ड तिलकके समान मालूम पड़ता था। इसके कुओं, बगीचों और तालाबों इत्यादिका वर्णन | नागरखण्डमें उत्तम बान्धव-नगर चमक रहा था। इसके आकर्षणोंका वर्णन । इसके शासक कदम्ब-वंशके थे; वे सोम-राजाके पुत्र बोध-देव थे। उनका
1. यह सब शासनके पूरे लिखे जाने के बाद जोड़ा गया मालूम पड़ता है।