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जैन-शिलालेख-संग्रह
ब्रमभूपालक नामका लड़का था। कबडेय बोध-सेट्टिने उस बन्दिभिकेके शान्तिनाप-देवके लिये एक मण्डप खड़ा किया और विधिपूर्वक यह उसे समर्पण कर दिया।
नागरखण्डमें, हरके मुखोंके समान, पांच अग्रहार थे, बिनसे ब्राह्मणों के वेद आदि विद्याओंके पढ़ने-पढ़ानेकी ध्वनि निकलती थी। वहाँ के ब्राह्मणोंकी प्रशंसा । केरेयूर शम्भु-देवकी समस्त विद्याओंमें अद्वितीय निपुणता । सेटिकन्बेके पुत्र बनञ्जु-धर्म-निवासी संकर-सेटिकी; सामन्त-मुद्दकी, जिसके पिता शंकर, मां जक्कव्वे मित्र जिन, गुरु भानुकीर्ति-अतिपति थे, शासक बल्लाल, पत्नी लच्चाम्बिके, पुत्रियां चक्कव्वे और मल्लब्बे, पुत्र बल्लाल-देव था, कच्छवियूरके मालिक बिट्टियरसकी; बेगरके प्रभु-माळ गौडकी; कण्णसोगेके एरकाटि-गौडकी; मळवळ्ळिके एरहगौडकी; तथा अब्लूरके सोम-गौडकी प्रशंसामें श्लोक ।
मुनिचन्द्र-सिद्धान्त-देवके प्रिय शिष्य ललित कीर्ति-सिद्धान्ती थे। उनके पुत्र, काणर-गण समुद्रके चन्द्रमा, शुभचन्द्र-पण्डित-देव थे। उन्होंने शान्तिनाथ तीर्थ '(बन्दलिके) का प्रबन्ध अपने हाथमें लिया।
राजा बल्सालका प्रसिद्ध मन्त्री मल्ल या कम्मट मल्ल-दण्डाधिनाथ था। उसने बन्दलिकेकी बहुत प्रेमके साथ रक्षा की थी। उसके पराक्रमकी प्रशंसा । उसका मंत्री सूर्य-चमूपति था ।
नागरखण्ड सत्तरके इन सब मुख्य-मुख्य व्यक्तियोंने. प्रजाने और किसानोंने (उत मितिको ) तीत्थंके पुरोहित शुभचन्द्र-पण्डित-देवके पाद-प्रक्षालनपूर्वक 'उक्त) दान दिया।
[ EC VII Shikarpur tl No 225 ]
PHATA. 112501 (203
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