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जैन-शिलालेख संग्रह और समस्त. प्रथा एक बैलके कोल्हूका कर तथा एक वेलीके घरका कर देती थी (१)।] [EC, V, Hassan, Tl., No. 59.]
३९१ अजमेर-प्राकृत ।
[सं० १२३४ = ११७७ ई.] संवत् १२३४ जेठ सुद १३ बुधदिने साधुवुल्हा पुत्रवान हालू पार्श्व (ख) नाम बेवपाल प्रणमतिमिहा।
अर्थ स्पष्ट है। [ JASB, VII, p. 52, No. 3, t.]
३९२ खजुराहो -संस्कृत ।
[सं० १२३४७.ई.] [यह लेख किसी जैन प्रतिमाके अधः पाषाणपर उत्कीर्ण है और खजुराहो में पाये जानेवाले जैन-शिला-लेखोंमें सबसे पीछेके ( उत्तरवर्ती ) कालका है। ] [A. Cunningham, Reports, XXI, p. 69, b, a.]
३९३ भवणबेलगोला-संस्कृत तथा काद। [वर्ष हेवणन्ति = 100ई०१ (सू० राइस)]
. [.शि.सं., प्र. मा.]