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एलेवाल के लेख
और उसका श्वसुर विश्व-विण्यात ......था। केरेयम सेष्टिके केवमल्ल और देकि सेटि पुत्रों से देकि-सेटिकी जैनधर्मके महान् संपुष्टिदाताके रूपमें प्रशंसा ।
मूलसंघ, कोण्डकुन्दान्वय, काणर-गण, तथा तिन्त्रिणिक-गच्छके मुनिचन्द्रदेवके शिष्य भानुकीर्ति-मुनिकी प्रशंसा ( जैसा कि क्रमाङ्क ३७७ वे शिला. लेखमें है।
(उक्त मितिको ), एलम्बळ्ळि देकि सेट्टिने, अपने द्वारा बनायी हुई शान्तिनाथ-बसदिकी मरम्मतके लिये, जीयस् तथा श्रवणोंकी चारों जातियों के भोजनप्रबन्ध (या आहार-दान ) के लिये, शान्तिनाथ-घटिका-स्थान-मण्डळाचार्य भानुकीर्ति-सिद्धान्त-देवके पाद-प्रक्षालन-पूर्वक,-( उक्त ) भूमिका दान दिया। और वह 'स्थान' उसने अपने शिष्य मन्त्रवादी मकरध्वनको अर्पण कर दिया। हमेशाके अन्तिम श्लोक । ]
[ EC, VIII, Sorab, TI., No. 384.]
हेरगू-संस्कृत तथा कार।
वर्ष दुर्मुखी [ १७७ ई. (बु. राहस)] स्वस्ति श्रीमतु-दुम्मुखि-संवत्सरद चैत्र-सुद्ध-दसमी-सोमवार-दन्दु हेरगिन चेन्न-पारिश्व-देवर नन्दा-दीविगेगे श्रीमतु सङ्कद हेगडे हेरगिन बाचरस-गट्टियरसबम्म-देव-बल्लय्यङ्गळ सुङ्कवं विट्टरु एत्तु-गाण ओन्दक्कं आ-तेल्लिगर मने-देरे
ओन्दुवं ऊरोडेय-नारसिंगण्ण मार-गवुण्ड सेनबोव-सोमय्यनोळगाद समस्त-प्रजेगळि१ बिट धर्म ।।
[(उक्त मितिको ) चुङ्गीके अध्यक्ष (नाम दिया है ) ने हेरगूके भगवान चेन-पारिश्व ( पाव ) के हमेशा बलनेवाले दीपके लिये चुङ्गीके दाम छोड़ दिये । और चौकीदार ( Headman ) सेनबोव (जिन दोनोंके नाम दिये हैं)