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हेरेकेरीके लेख
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यी-दोरेय होन-नृपतिगव । आ-दुरित-विदूरे अळिय-देविगवोगेदम् । मेदिनि बण्णिसलखिळ-गु-। गोदधि जयकेशि-देवनेम्व कुमारम् ।। नेगळ्दा-श्री-जयकेशि-देवनमरी-सन्दोह-संभोग-का-। क्षेगे मेय्दन्दडे पेत्त-तायळिय-देवी-कान्ते मोहायदिन्-। दे गुणाम्भोनिधिगा-मगङ्गे विपुल-श्रेयो-निमित्तं जगम् । पोगळल सेतुविनोळु विनिर्मिसिदळुद्ध-श्री-चिनागारमम् ॥ स्वस्ति समस्त प्रख्यात-सीतेयु बिज्जल देव तनूबातेयुमप्प अळिया-देवि या शक-वर्ष १०८१ नेय प्रमाथि-संवत्सरद पुष्य-शुद्ध-चतुर्दशी-शुकपारवन्दु । उत्तरायण-संक्रान्तिय-पुण्य-दिनदोळ "गळिलळियादेवियरं होन्नेयरसरूं तम्म धर्मक्के बिट्ट भूमियावुदेन्दडे ( यहाँ दानकी विशेष चर्चा आती है ) मूल-संघद काणूर-गणद तिन्त्रिणि-गच्छद बन्दणिकेय तीत्यदाचार्य्यर् भानुकीर्ति-सिद्धान्त-देवर कालं कर्चि धारा-पूर्वकं माडि चारुपूना-निमित्तं कोहरु ( हमेशाका अन्तिम श्लोक)।
[बिन शासनकी प्रशंसा ]
जिस समय ( स्वाभाविक चालुक्य पदों सहित ) त्रिभुबन मजदेवका विजयी राज्य प्रवर्द्धमान था :
तत्पादपद्मोवजीवी, पट्टि-पोम्बुच्चपुरवराधीश्वर, दक्षिण-मधुराका अधिनायक राय-तैलह (प) देव सान्तलिगे हजार पर शासन कर रहा था। राजा तेलशान्तरकी प्रशंसा। उसकी पत्नी अक्क्खा -देवी थी, जो नन्नि शान्तरकी छोटी बहिन भी । और उसके तीन पुत्र थे,-काम, सिंह, और अम्मण । सबमे बड़े कामकी प्रशंसा । उसकी पत्नी बिञ्जल देवी थी। इनके पुत्र जगदेव और सिनिदेव थे। उनकी प्रशंसायें। उनकी बहिन अळिया-देवी थी। उन्होंने सेतमें एक बढ़िया जिन मन्दिर बनवाया था। वह होन्नेयरसकी पत्नी थी। यह होन्नेयरस