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नीतिशास्त्र की प्रकृति और अन्य विज्ञान | ८३
फिर भी यह मान लेने में कोई बाधा नहीं कि नीतिशास्त्र एक नियामक विज्ञान है। यह नीतिशास्त्र का एक सैद्धान्तिक पक्ष है । इस पक्ष के सन्दर्भ में इसके अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध की विवेचना सरलता से की जा सकती है।
नीतिशास्त्र का अन्य विज्ञानों से संबंध
(Relation of Ethics with other Sciences)
जैन दर्शन में आत्मा को ज्ञान-स्वभावी कहा गया है। समस्त ज्ञान आत्मा में केन्द्रित है । अतः ज्ञान-विज्ञान की कल्पना चेतनाशील आत्मा के बिना सम्भव ही नहीं है। विज्ञान चाहे आचार सम्बन्धी हो अथवा खोज सम्बन्धी, उनका परस्पर सम्बन्ध होता ही है।
'सापेक्षवाद' जैन दर्शन का सिद्धान्त तो है ही किन्तु आज का विज्ञान भी सापेक्षवाद (Theory of Relativity) को रवीकार करता है। वैज्ञानिकों का कथन है कि इस संसार में निरपेक्ष वस्तु कोई नहीं है । इसी तरह विज्ञान की विभिन्न शाखाएँ अथवा विभिन्न प्रकार के विज्ञान परस्पर सापेक्ष हैं, इनका परस्पर एक दूसरे से सम्बन्ध है।
नीतिशास्त्र का भी अनेक विज्ञानों से सम्बन्ध है । विषय को स्पष्ट करने के लिए कुछ विज्ञानों से इसका सम्बन्ध किस प्रकार का स्थापित हो सकता है, यह बताना यहाँ आवश्यक है।
यह मान्यता सर्वत्र स्थापित है कि नीतिशास्त्र का सम्बन्ध मूल्यों (Values) से है और अन्य सामाजिक तथा भौतिक विज्ञानों का सम्बन्ध तथ्यों से (facts) से है। परन्तु मूल्यों का अध्ययन तथ्यों के अभाव में नहीं किया जा सकता। अतः नीतिशास्त्र को भी अन्य विद्वानों की सहायता अपेक्षित है।
नीतिशास्त्र का कार्य इस बात की खोज करना है कि मनुष्य के रूप में उसकी विशेषता दिखाने वाले कार्य कौन से हैं। यानी नीतिशास्त्र में उचित अनुचित के मानदण्ड का विवेचन किया जाता है।
जेम्स सेथ ने कहा है-नीतिशास्त्र, नैतिक चिन्तन के रूप में, मानव आदर्शों की व्यवस्थित परीक्षा करता है और उनका (मानव आदर्शों का)
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