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नैतिक प्रत्यय | १०६
छप्पि कry - - अपनी आत्मा के समान ही सभी प्राणियों को समझो तथा मित्त मे सध्वभूएस - सब प्राणियों के साथ मेरा मित्रभाव है - यह परमशुभ का दिशा निर्देशक सूत्र है ।
इसके अतिरिक्त प्राणीमात्र की कल्याण कामना, माध्यस्थ्य भावना, 2 नैतिक शुभ है, जिसमें सभी व्यक्ति सुखी हों, "सुखी रहें सब जीव जगत के " ऐसी भावना करता है ।
नैतिक उचित
नैतिक उचित (moral right) का अभिप्राय है-ठीक अथवा नियमानुसार | इसके विपरीत नैतिक अनुचित (moral wrong ) होता है । अनुचित का अभिप्राय है, शुभ और अच्छे को तोड़ना, मरोड़ना, उसका अभिप्राय अपने स्वार्थ के अनुकुल लगाना ।
यहाँ नियमानुसार का अभिप्राय नैतिक नियमों (moral codes) के अनुसार कार्य करना अथवा उसी के अनुरूप अपना व्यवहार ढालना है ।
नैतिक नियम है कि किसी का शोषण न किया जाय । अतः श्रम करने वाले के कल्याण के कार्य उचित हैं, जबकि उनका शोषण अनुचित ।
इस विषय में राजनीतिक और न्यायिक नियम-कानून (political and judicial laws) नैतिक नियमों से भिन्न हो सकते हैं । बहुत से ऐसे श्रमिक कल्याण के कार्य हैं, जिनके बारे में स्पष्ट कानून नहीं हैं । यथाबेरोजगारी का भत्ता देना, किन्तु श्रमिक की कुछ समय के लिए छँटनी कर देना और उस समय का वेरोजगारी भत्ता न देना, नैतिक नियम के अनुसार अनुचित है ।
इस दृष्टि से नैतिक नियम कानूनी नियमों की अपेक्षा अधिक विस्तृत हैं, इनका दायरा विशाल है ।
नैतिक कर्तव्य
कर्तव्य एक बहुत ही विशाल शब्द है । इसीलिए इसका विभिन्न रूपों प्रयोग किया जाता है, यथा-- सामाजिक कर्तव्य, राजनीतिक कर्तव्य; जाति- देश - समाज - राष्ट्र और अन्तर्राष्ट्रीय कर्तव्य । यहाँ तक कि कर्तव्य शब्द धर्म शब्द के पर्यायवाची रूप में भी प्रयुक्त होता है । जैसे- पति की सेवा
१ दशकालिक सूत्र १० / ५
२ अमितगतिद्वात्रिंशिका, श्लोक १
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