________________
१३४ | जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
का सामाजिक, वैयक्तिक, पारिवारिक उत्तरदायित्वों का वहन विद्या से प्राप्त नैतिक सिद्धान्तों का क्रियान्वयन है। उपसंहार
इस प्रकार नीतिशास्त्र के विविध प्रत्यय (concepts) हैं। यह एक प्रकार से प्रतिमान हैं। इन प्रत्ययों का प्रमुख कार्य मानव की रुचि, प्रवृत्तियों तथा स्वभाव का निर्माण करके नैतिक जीवन जीने का पुष्ट आधार प्रस्तुत करना है। जैसा कि श्री मैकेन्जी ने नैतिक जीवन के विषय में कहा है
नैतिक जीवन का अर्थ ही चरित्र निर्माण अथवा निश्चित आदतों का निर्माण है। ___ और यही कार्य ये विभिन्न नैतिक प्रत्यय करते हैं । यह व्यक्ति को विश्वासयोग्य तथा चरित्रवान बनाते हैं ।
1
The moral life means the building up of character, i. e., it means the forming of definite habits of action.
—Mackenzie, J. S : A Manual of Ethics, p. 75
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org