________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह न कठोर वचन सुनाई देते हैं, और न किसी प्रकार की हरकतें हैं। . कहने का तात्पर्य कि ऐसे शांति के स्थान मंदिर में शांति रखना इसी में दर्शन की सफलता है, यूरोपीयन लोगों के चर्च (देवल ) में देखो कैसी शांति होती है ? सिर्फ एकही पादरी प्रार्थना बोलता है और दूसरे लोग खामोश रहकर सुनते हैं / जरा भी गडबड नहीं होने पाती। इस प्रकार की शांति जिनमंदिर में रखनी चाहिये जिससे दर्शन का यथार्थ लाभ प्राप्त हो। ___ मंदिर जाने वालों को 84 आशातना भी टालनी चाहिये जिनके नाम नीचे मुजब हैं 84 आशातना 1 मंदिर में थूकना। 2 जुआ शतरंज पत्ते आदिसे खेलना / .3 टंदा फिसाद करना। . 4 धनुर्विद्या सीखना (धनुष बाण चलाना)। * 5 जल से कुरले करना / 6 पान खाना। 7 पान खाकर थूकना। 8 गाली गलोज देना। 9 टट्टी या पैसाब करना। 10 हाथ पांव आदि धोना।