________________ 1 देवदर्शनविधि दर्शन करते वक्त और पूजा के वक्त इतनी भीड और हल्ला मच जाता है कि उसमें पता नहीं लगता कि कौन क्या कहता है, वहां उस समय शांति भी नहीं देखी जाती। जब शांति के स्थान में आत्मा को शांति न मिली तो अन्यत्र कहां मिलेगी / दुनिया की झंझट को छोड कर घडी भर शांति प्राप्त करने को मंदिर में गया और वहां भी वही खटपट, तो कहिये वहां जाने में अपने आत्मा को क्या लाभ मिला / जिन मंदिर शांतिका स्थान है,वहां सब मनुष्य जा सकते हैं,किसी रईस या शेठ साहूकार के बंगले पर जाने में प्रतिबंध और रोक टोक हो सकती है, मगर भगवान के स्थान पर वैसा हिसाब नहीं है / राजा भर्तृहरि ने इस विषय पर क्या ही मनोरंजक श्लोक कहा है"नायं ते समयो रहस्यमधुना निद्राति नाथो यदि, स्थित्वा द्रक्ष्यसि कुप्यति प्रभुरिति द्वारेषु येषां वचः। चेतस्तानपहाय याहि भवनं देवस्य विश्वेशितुनिर्दोवारिकनिर्दयोक्त्यपरुषं निस्सीमशर्मप्रदम् // 1 // " तात्पर्य–'अरे अभी जाने का समय नहीं है। वहां खानगी बातें हो रही हैं / शेठ निंदमें हैं / अगर तू देखेगा तो शेठ कोपायमान होंगे। इस प्रकार के वचन जिनके दरवाजे पर सुने जाते हैं, अये दिल ! ऐसे स्थानों को छोड कर परमात्मा के उस सुखप्रद स्थान पर जा, जहां न द्वारपाल हैं,