________________ // श्रीजिनाय नमः // श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह। प्रथम-खण्ड / नमन करी जिनदेव को, वंदन करी गुरुराज / "जैन ज्ञान-गुण संग्रह" लिखू बाल हितकाज // 1 // दर्शनविधि 1 पूजाविधि 2, गृहिद्वादशव्रतसार 3 / तपविधि 4 विविधविचार 5 इति, प्रथम खंड अधिकार॥२॥ 1 देव-दर्शन विधि / सामान्य उपदेश प्रत्येक जैन श्रावक श्राविका का यह कर्तव्य है कि प्रतिदिन जैन मंदिरमें जा कर देव दर्शन करें। देवदर्शन जाते वक्त सब से पहले बाह्य शुद्धि रखनी चाहिये। कारण कि बाह्य शुद्धि अंतर शुद्धि में निमित्त कारण है। इसी लिये मंदिर जाते यदि स्नान न बने तो हाथ पांव आदि