Book Title: Gommatasara Jiva Kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, J L Jaini
Publisher: ZZZ Unknown

Previous | Next

Page 278
________________ GOMMATASARA. 205 363-64. 36,05,100; 5,03,000; 8,25,000; 52,36,01.6; 84,36,00%; 88,00,000; 5,000; 95,50,00,005; and 20,989,200, in each of the (5 chúlikás) Jala-gatá etc; and 1,810,5000 is (the total of) feet in Pari-karma, and 10,49,46,000 is the total of (feet in chúlikas). पएणट्टदाल पणतीस तीस पण्णास पण तेरसदं । णउदी दुदाल पुव्वे पणवणा तेरससयाई ॥ ३६५॥ पश्चाशदष्टचत्वारिंशत् पञ्चत्रिंशत् त्रिंशत् पञ्चाशत् पञ्चाशत् त्रयोदशशतम् । नवतिः द्वाचत्वारिंशत् पूर्वे पञ्चपञ्चाशत् त्रयोदशशतानि ॥३६५॥ छस्सयपण्णासाइं चउसयपणास छसयपणुवीसा। बिहि लक्खे हि दु गुणिया पंचम रूऊण छज्जुदा छटे ॥ ३६६॥ षट्छतपञ्चाशानि चतुःशतपश्चाशत् षट्छतपचविंशतिः। द्वाभ्यां लक्षाभ्यां तु गुणितानि पञ्चमं रूपोनं षड्युतानि षष्ठे ३६६ 335-63. (The middle feet in the 14) Purvas (respectively are), fifty, forty-eight, thirty-five. thirty, fifty, fifty, thirteen hundred, ninety, forty-two, fifty-five, thirteen hundred, six hundred fifty, four hundred fifty, six hundred-twenty-five, each multiplied by two lacs; and subtract one from the fifth; and add six to the sixth. सामाइयचउवीसत्थयं तदो बंदणा पडिकमणं । वेण इयं किदियम्मं दसवेयालं च उत्तरज्झयणं ॥ ३६७॥ सामाथिकचतुर्विशस्तवं ततो वंदना प्रतिक्रमणम् । वैनयिक कृतिकर्म दशवैकालिकं च उत्तराध्ययनम् ।। ३६७ ॥ कप्पववहारकप्पाकप्पियमहकप्पियं च पुंडरियं । महपुंडरीयणिसिहियमिदि चोदसमंगबाहिरयं ॥ ३६८ ॥ कल्प्यव्यवहार-कल्प्याकल्प्य-महाकल्प्यं च पुण्डरीकम् । महापुण्डरीकनिषिद्धिका इति चतुर्दशाङ्गबाह्यम् ॥ ३६८ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438