Book Title: Chandappahasami Chariyam
Author(s): Jasadevsuri, Rupendrakumar Pagariya, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिचंदप्पहजिणचरियं तओपहरिसमय व्व लीलामय व्व आणंदसोक्खमइय व्व । साराई वोलीणा, निवेण सह सयललोयस्स ॥ २५३८ ॥ जाए पभायसमए कयपाभाउयसमग्गकायव्वो । सिरिअजियसेणचक्की, अत्थाणसहाए उवविट्ठो ॥ २५३९ ॥ जियसत्तुनरवरिंदस्स तयणु सामंतमंतिपमुहेण । लोएण कीरमाणेसु विविहमंगल्लनिवहेसु ।। २५४० ।। करिवरतुरंगमणिरयणवत्थआभरणाइदव्वेसु । ढोइज्जतेसु बहुप्पयारढोयणियलक्खेसु ।। २५४१ ।। दिज्जतेसु य नाणाविहेसु दाणेसु मग्गणगणस्स । नच्चंतेसु विलासिणिजणेसु करणंगहारेहिं ॥ २५४२ ।। आलाणखंभमुम्मूलिऊण मयवसपरवसत्तेण । पत्तो कत्तो वि निवंगणग्ग' मीए रायकरी ॥ २५४३ ।। तं गरुयसत्तजुत्तं, वरवंसुप्पत्तिसालिणमतुच्छं । सुपसत्थहत्थमवलोइऊण बीयं व अप्पाणं ॥ २५४४ ॥ राया तो वीरनरे, वावारइ हत्थिसिक्खअइदक्खे । तरलियचित्ते कोऊहलेण कोलावणत्थं से ॥ २५४५ ॥ तो एक्को वीरनरो, गाढं मुट्ठीए कुलिसकढिणाए । तं पविसिऊण पहणइ, थोरकरे करिवरं मत्तं ॥ २५४६ ।। तो तस्सुवरि पसारियगुरुहत्थो जाव धावई एसो। अवरेण आरियाए पच्छिमगत्तम्मि ता विद्धो । २५४७ ।। गरुययरमच्छरेणं गहणत्थं वलिय पच्छिमनरस्स । वेगेण जाव पिट्ठीए एइ तावऽन्नपुरिसेहिं ।। २५४८ ॥ पहओ पासे घणलेठ्ठएहिं तो सव्वओ वि रुंभंतो। निवआणाए सट्ठाणसम्मुहं नेउमाढत्तो ॥ २५४९ ।। एत्थंतरम्मि एक्को को वि नरो धावणम्मि असमत्थो । तं ठाणं संपत्तो, कालेण वि चोइओ कह वि ॥ २५५० ।। सो रोसपरवसेणं सुंडाडंडस्स गोयरे पडिओ । उल्लालिऊण खित्तो नहंगणे हत्थिणा तेण ।। २५५१ ॥ तो निवडतो गयणंगणाओ भयवसपणट्ठमणसन्नो । उड्ढमुहेणं पुणरवि पडिच्छिओ दंतमुसलेहिं ।। २५५२ ॥ हाहारवं करितो जणम्मि घेत्तुं करेण धरणीए । अप्फालिओ य तह कह वि जह गओ खंडखंडिं सो ॥ २५५३ ।। सारयमेहं पिव तं खणेण खीणं पलोइऊण निवो। अंगेण जीविएण य, तो चिंतइ जायनिव्वेओ ॥ २५५४ ।। अहह कह पेच्छ जीवाण जीवियव्वस्स चंचलत्तमिणं । तडिविलसियं पि जेणं, विणिज्जियं नियसरूवेण ।। २५५५ ।। एगावयाओ कहमवि जइ रक्खिज्जइ तहा वि अवराए । निज्जइ विणासमेयं, वाउद्धृयजलयवंदं व ॥ २५५६ ॥ तहा हि - रोगेरितो रक्खा जइ कीरइ कह वि वेज्जकिरियाहिं । तह वि हु इमस्स नासो हवेज्ज सत्थाइएहिं पि ॥ २५५७ ।। जम्हा हणेज्ज कोई, असिछुरियासेल्लसव्वलाईहिं । अहवा सयं पि घायं, करेज्ज रोसाइकारणओ ॥ २५५८ ।। पविसिज्ज जलणमज्झे, अहवा सलिले खिविज्ज अप्पाणं । देज्ज विसं वा कोई, पोएज्ज व सूलमाईहिं ।। २५५९ ॥ एएहिंतो कह वि हु अप्पाणं जइ वि को वि रक्खिज्ज । सीहाइगोयरगओ, तहा वि खयमासु वच्चिज्जा ॥ २५६० ।। तेहितो वि हु चुक्को, पडिज्ज विसयम्मि मत्तहत्थिस्स । अहवा वि दुट्ठभुयगाइयाण तत्तो वि जाइ खयं ॥ २५६१ ।। इय विविहावयसयकारणस्स मरणस्स कारणे पडियं । केच्चिरकालं जीयं, हवेज्ज भवगत्तवत्तीण ॥ २५६२ ।।
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