Book Title: Chandappahasami Chariyam
Author(s): Jasadevsuri, Rupendrakumar Pagariya, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिचंदप्पहजिणचरियं
सा पसरइ दिव्व झुणी जिणस्स जिय सजलजलयगज्जिरवा। गरुययरमोहनिद्दानिवडियजणबोहणत्थं व ॥ ५३४४ ॥ विशेषकम् ॥ सरयससिकिरणनिम्मलजसजं पिव विहाइ जं जं च । वुड्ढाइ तवसिरीए केसंतसिरिं समुव्वहइ ।। ५३४५ ।। जमसेसजगत्तयपुन्नतंतुसंताणसरिसमाभाइ । रंजियपुरंदरं रुइररयणखचियं कुणइ दंडं ॥ ५३४६ ।। तं देवरायकरकमलचलियचामरजुगं जगपहुस्स । सहइ ढलंतं पुण पुण नमिरं च गुणाणुरागेण ।। ५३४७ ॥ विशेषकम् ।। जच्चतवणिज्जमइयं विचित्तमणिनियरचित्तयं तुंगं । वित्थिन्नं विमलसमुल्लसंतकिरिणोहदिप्पंतं ।। ५३४८ ।। सीहासणं विरायइ भत्तीए नियपए समुज्झित्ता । जिणवरआसणहेउं समागयं मेरुसिंग व ॥ ५३४९ ॥ जुयलं ॥ नीरयनिरब्भगयणे जह सोहइ तरणिकिरणपब्भारो । डिंडीरपिंडपंडुरखीरोयहिसविहदेसो वा ।। ५३५० ॥ जलहिस्स महणसमए अमयपवाहोऽहवा पवित्थरिओ। तह रेहइ जिणतणुकिरिणबद्धभामंडलं रुइरं ।। ५३५१ ।। अवि य -- देहाणुमग्गलग्गं दीसइ भामंडलं ससिपहस्स । सेवाइ रयणिनाहेण पेसियं किरणजालं व ॥ ५३५२ ॥ गुरुपडिरवभरियनहंगणो य बहिरियजणोह सुइविवरो । पठुक्कंठसिहंडीहि जोइओ घणरवभमेण ॥ ५३.३ ।। विबुहो बोहणत्थपहओ वज्जतो देवदुंदुही सहइ । आहवणं च कुणंतो जिणपासे दूर चारीण ॥ ५३५४ ॥ जुयलं ॥ च्छाया न जस्स सुलहा नीसेससुरासुरेहिं वि जयम्मि । भवदवगिम्हुम्हाए गाढं परितावियतणूहिं ।। ५३५५ ॥ तस्स वि छायं अहयं जणेमि सीसोवरिट्ठियं संतं । तिजयप्पहुस्स एवं किंकणिरावेण जं कहइ ।। ५३५६ ।। तं सहइ थूलनित्तुलनिम्मलमुत्ताहलोह हसिरं व । च्छत्तत्तयं जिणिंदस्स कुमुयसरयब्भसमवन्नं ॥ ५३५७ ॥ विशेषकम्॥ अन्नं च - आबद्धनीलमणिकिरणजालनवहरियजणियसद्धाए । पासं न जस्स कइय वि विमुंचई मुद्धहरिणउलं ॥ ५३५८ ।। पवियसियकणयकमलट्ठियं तयं धम्मचक्कमइरम्मं । सोहइ जिणिंदपुरओ सुरकयनीलिंदनीलमयं ।। ५३५९ ।। (जुयलं) माणिक्कखंडमंडियचामीयरचारुदंडकयसोहो । पवणपहल्लिरआबद्धकिंकिणीरावरमणिज्जो ॥ ५३६० ॥ तिहुयणगुरुस्स पुरओ सहइ महिंदज्झओ महातुंगो। उड्ढमुहमुल्लसंतो सिवगइमग्गं व दंसंतो ।। ५३६१ ॥ देवा य पहरिसेणं कलयलसद्देण सव्वओ चेव । उक्किठि सीहनायं करिति तित्थयरपामले ॥ ५३६२ ।। एत्थंतरम्मि परिसाओ इंति ताओ पयाहिणं दाउं । वाराओ तिन्नि तित्थेसरस्स तो ठंति सट्ठाणे ।। ५३६३ ।। तासिं च कमो एवं भयवं पि पयप्पयासणा पुव्वं । पढम चिय पडिबोहइ अट्ठासी गणहरे जे उ ॥ ५३६४ ।। उत्तमकलजाइगणा अच्चब्भयरूवसंपयाकलिया। नीसेसलक्खणधरा तिवई सणिऊण जिणपासे ।। ५३६५ ।। उप्पत्तिविगमधुवपयडरूवनियबुद्धिपयरिसगुणेण । उवलहियसयलतत्ता दुवालसंग पकुव्वंति ।। ५३६६ ॥ आयारो सूयगडो ठाणं समवाय भगवईओ य । नायाधम्मकहाओ सत्तमयमुवासगदसाओ ॥ ५३६७ ।। अंतगडाणुत्तरओ उवाइयाणं दसाओ तह दुण्णि । तह पण्हावागरणं एक्कारसं विवागसुयं ।। ५३६८ ॥ एयाणं पढमंगं अट्ठारसपयसहस्सपरिमाणं । सेसाई हुंति दस पुण दुगुणा दुगुणाइ माणेण ।। ५३६९ ।।
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