Book Title: Chandappahasami Chariyam
Author(s): Jasadevsuri, Rupendrakumar Pagariya, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text ________________
अखलियपयावपसरनिवकहा
१७९ न य एत्तिएण वि ठिओ पुणो वि अन्नोन्नमवसरं जणियं । दुक्खुद्दीरणमन्नोन्नमेव तं चिय करावेइ ।। ५५८५ ॥ तह ठाण सहावकयं पि उवदंसियं दुहं तस्स । अग्गेयणीसु तिसु पुण दोन्नि वि गरुयाई दुक्खाई ॥ ५५८६ ॥ परमाहम्मियअसुराण जेण परओ न अत्थि खलु गमणं । सत्तमपुरीए जं पुण तं ठाणकयं पि अइघोरं ।। ५५८७ ॥ जं वज्जकंटयाणं मज्झम्मि समंतओ महाविसमे । कीरइ तत्थुप्पाओ जणस्स अस्सायसुहडेण ।। ५५८८ ॥ एवं च तस्स तारिस असायपरिपीडियस्स लोयस्स । सुहवन्ता वि न वट्टइ किं पुण अन्नत्थ गमणकहा ।। ५५८९ ।। नरयाउवालविरइयआउक्खए होज्ज अन्नहिं गमणं । तस्स जणस्स तहा वि हु असायमाई तमणु जंति ॥ ५५९० ॥ नरतिरिगइनयरीसुं दोसु च्चिय जेण निज्जई एसो । सिरिनामरायसुहडेहिं तेण तत्थ वि असायाई ।। ५५९१ ।। जे असुहवन्नरसगंधफासनामा य नामरायस्स । पुत्ता समागया नरयआउराजस्स साहेज्जे ।। ५५९२ ।। वन्नरसगंधफासा तेहिं वि अहातहा कया तस्स । वीभच्छयाए जह तेसिमप्पणो वि हु महातासो ॥ ५५९३ ।। नीयागोओ उदएणं नीयागोयं पि तह कयं ताण । आउप्पत्तीउ च्चिय धिक्कारहया सया वि जहा ।। ५५९४ ।। तिरियाउपालदेवो एवं तिरियगइनिययनयरीए । पडिबद्धेसुं चोद्दससु भूयगामेसु गंतूण ।। ५५९५ ॥ सहिओ असायनीयागोयासहनामपमहसहडेहिं । एगिदियाइपाडयपुढवीकायाइगेहेस ।। ५५९६ ॥ जे केइ संति लोया तेसिं चिंतइ भवट्ठिई कालं । कायट्ठिइकालं सह तट्ठाणासुन्नकरणत्थं ॥ ५५९७ ।। पुढवीकायगिहत्थाण तत्थ बावीसई सहस्साई । वासाणं उक्कोसेण होइ कालो भवट्ठिईए ॥ ५५९८ ॥ आउक्काए सत्त उ तिन्नि सहस्साउ वाउकायम्मि । दसवाससहस्साउण पत्तेयतरूण उक्कोसो।। ५५९९ ।। तेउक्काए राइंदियाणि तिन्नेव एवमेसाओ। भवट्ठीइ एगिदियपाडयम्मि बेइंदियाण पुणो ॥ ५६०० ।। वासाई दुवालस तिदियाण एगूणवन्नदियहाई । चउरिदियाण छ च्चिय मासा पंचेंदियाण पुणो ॥ ५६०१ ।। संमच्छिमाण कोडीपव्वाणं गब्भयाण पण तिन्नि । पलियाई जहन्नेणं अंतमहत्तं तु सव्वेसिं ॥ ५६०२ ।। जे उ अणंतवणस्सइकाए तेसिं जहन्नमुक्कोसं । अंतोमुहुत्तमेव य एवं एसा भवट्ठिईओ ॥ ५६०३ ।। कायठिई कालो जो य मोहरायाओ कारिओ ताण । तं साहेमो एत्तो उवउत्ता भो निसामेह ॥ ५६०४ ॥ अस्संखोसप्पिणिसप्पिणिओ काएसु चउसु वि कमेण । ताओ चेव वणस्सइकाए णंताओ नायव्वा ।। ५६०५ ॥ वाससहस्सा संखेज्जया उ बेइंदियाइसु हवंति । अद्वैव भवग्गहणाई हुंति पंचिंदिएसु पुणो ॥ ५६०६ ।। एवं भवट्ठिईए कायठिईए य ते निरंभेउं । दुक्खुडुयाए रूवे कारवइ असायमाईहिं ।। ५६०७ ॥ अइमुच्छियचेयन्ना जइ वि हु एगिदिया न वेयंति । दुक्खं सुहं अओ च्चिय भणिया ते अप्पवेयणिया ॥ ५६०८ ।। तह वि हु बायरकाए च्छेयणभेयणविलुंचणाईहिं । गम्मइ असायउदओ वि सोसपडणाइदंसणओ ॥ ५६०९ ॥ बेइंदियाइयाणं पुण अमणाणं पि किंचि सो अहिओ । बहुबहुयरभावाओ चेयन्नगुणस्स विन्नेओ ॥ ५६१० ।। एवं असुहा वन्नाइया वि पाएण बायरे काए । कत्थ वि सुहा वि दीसंति अगरुकप्पूरमाईसु ॥ ५६११ ॥ नीयगोयस्सुदओ सव्वाए चेव तिरियजाईए । नीयागोएण कओ अप्पबहुत्तेण य विसेसो ॥ ५६१२ ।।
१४ Jain Education international
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246